सुप्रीम कोर्ट ने खत्म की आईपीसी की धारा 497, व्यभिचार को अपराध मानने से इनकार
आखिर व्यभिचार कानून को लेकर क्यों उठते हैं सवाल? जानें- क्या है पति-पत्नी के बीच संबंधों का यह मामला
कई देशों में व्यभिचार को अपराध से कर दिया बाहर
दरअसल, चीफ जस्टिस ने जस्टिस ए.एम.खानविलकर की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि कई देशों में व्यभिचार को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह अपराध नहीं होना चाहिए, और लोग भी इसमें शामिल हैं। वहीं इस फैसले पर महिलाओं के भी अपने तर्क हैं। दिल्ली की रहने वाली एक महिला का कहा है कि यह बड़ी रोचक बात है कि न्यायिक प्रणाली महिलाओं और पुरुषों में बराबरी की बात करती है, लेकिन वहां पर बहुत विसंगतियां हैं। इसका एक प्रभाव यह भी हो सकता है कि कानून के शिंकजे से बेखौफ महिला-पुरुष शादी से बाहर प्रेम और शारीरिक सुख की तलाश कर सकते हैं।
1860 में बना था बना अडल्ट्री कानून, सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल बाद किया खत्म
जिसका सीधा प्रभाव दपंति के वैवाहिक जीवन पर पड़ सकता है। इसके साथ ही भारतीय संस्कृति की मूल संस्था परिवार और विवाह की मान्यता भी खतरे में आ सकती है।