इसकी एक वजह यह भी है कि पिछले कुछ महीनों से सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर पर खासे दाम बढ़ाकर रखे थे। मतलब एक तो सरकार ने ने दाम बढ़ाकर रखे थे, दूसरा इंटरनेशल मार्केट में गैस सस्ती हुई है। इसका परिणाम यह हुआ कि सब्सिडी लगभग शून्य के बराबर हो गई। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2015 में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर डीबीटी स्कीम शुरू की थी। इस स्कीम के तहत कंज्यूमर एलपीजी सिलेंडरों की पूरी ( मार्केट ) कीमत चुकाते हैं और सरकार उनकी सब्सिडी सीधा उनके खातों में भेजती है।
गौरतलब है कि इससे पहले तेल कंपनियां कंज्यूमर्स को लागत से कम कीमत पर एलपीजी सिलेंडर बेचती थीं, हालांकि सरकार की ओर उनके नुकसान की भरपाई की जाती थी। लेकिन सरकार ने इस सिस्टम को बदलते हुए अक्टूबर 2017 और जुलाई 2019 के बीच गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडरों के दामों को स्थिर कर दिया।