1. द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir ) द्वारकाधीश मंदिर द्वारका में है और भगवान कृष्ण को समर्पित है। इसको जगत मंदिर भी कहा जाता है। यहां के प्रवेश द्वार को स्वर्ग द्वार और मोक्ष द्वार भी कहते है। यह मंदिर लगभग 2,500 साल पुराना है। यहां कृष्णा की पत्नी रुकमणी के भी दर्शन कर सकते हैं। द्वारकाधीश का 5 मंज़िला मंदिर 72 पिलरों पर बना हुआ है। यह मंदिर मथुरा में बना है और इसी जगह को भगवान कृष्ण का जन्मस्थान भी माना जाता है। यह मंदिर भगवान कृष्ण के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
2. वृंदावन मंदिर ( Vrindavan Mandir )_ पौराणिक कथायों की माने तो वृंदावन में नंद गोपाल ने अपना बचपन बिताया था। इन्हीं कहानियों को सुनकर सम्राट अकबर वृन्दावन आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने यहां 4 मंदिर बनवाने की आज्ञा दी। ये मंदिर थे मदन-मोहन, जुगल किशोर,गोपीनाथ और गोविन्द जी।
3. इस्कॉन मंदिर ( ISKCON Temple ) इस्कॉन मंदिर भारत का वह मंदिर है जहां देशी से ज्यादा विदेशी श्रधालुयों का जमावड़ा रहता है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां लाखों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। एशिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर आईटी सिटी बेंगलुरु में स्थित है। इसके साथ ही आप इस्कॉन मंदिर को दिल्ली, मथुरा, मुंबई और पुणे में भी देख सकते हैं।
4. गुरुवयूर मंदिर ( Guruvayoor Temple ) गुरुवयूर मंदिर को दक्षिण का द्वारका भी कहा जाता है। केरल में स्थित यह मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में मौजूद कृष्ण रूप को स्वयं ब्रह्मा ने भी पूजा था। नव विवाहित जोड़े यहां अपने वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए आशीर्वाद पाने आते हैं।
Nitin Gadkari big statement : COVID-19 से देश को लगा 30 लाख करोड़ का झटका, ‘आर्थिक जंग’ के लिए रहें तैयार 5. वेणु गोपाल मंदिर ( Venu Gopal Temple ) वेणु गोपाल मंदिर भी दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कर्नाटक के मैसूर स्थित इस वेणुगोपाल मंदिर का नजारा बहुत ही अद्भुत है। कृष्ण सागर बांध के समीप बने इस मंदिर भगवान वंशीधर बांसुरी बजाते हुए नजर आते हैं।
6. मुंबई दही हांडी ( Mumbai Dahi Handi ) जन्माष्टमी के दौरान दही हांडी का ट्रेंड खासतौर से मुंबई में ही देखने को मिलता है। जिसमें ऊंचाई पर हांडी में दही रखी होती है और बहुत सारे लोग पिरामिड बनाते हैं और कोई एक उस हांडी तक पहुंच कर उसे फोड़ता है। पूरी प्रक्रिया को देखना बहुत ही मजेदार होता है।
7. झुंझुनू ( Jhunjhunu ) जयपुर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर बसा है झुंझुनू, जहां पिछले 300 से 400 सालों से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। तीन दिनों तक मनाए जाने वाला इस उत्सव में शामिल होने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। जन्माष्टमी के दिन यहां खाने-पीने से लेकर खिलौने और भी कई चीज़ों के ढेरों दुकानें होती हैं। देर रात तक डांस-गाने का कार्यक्रम चलता है।
8. जगन्नाथ पुरी ( Jagannath Puri ) ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। जन्माष्टमी से अधिक रौनक यहां वार्षिक रथ यात्रा के दौरान होती है। यह रथ यात्रा धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें भाग लेने और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं। हर साल इस रथ यात्रा का आयोजन होता है। इसके लिए तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं। सबसे आगे बलराम जी का रथ रहता है, फिर बहन सुभद्रा का रथ रहता है और उसके भी भगवान कृष्ण अपने रथ में सवार होकर चलते हैं।
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10. केसांवलिया सेठ मंदिर ( Kesanwalia Seth Temple ) राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में गिरिधर गोपालजी का फेमस मंदिर है। यहां वे व्यापारी भगवान को अपना बिजनस पार्टनर बनाने आते हैं, जिन्हें अपने व्यापार में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा होता है। भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है जिनका संबंध मीरा बाई से भी बताया जाता है। यहां मीरा के गिरिधर गोपाल को बिजनस पार्टनर होने के कारण श्रद्धालु सेठ जी नाम से भी पुकारते हैं और वह सांवलिया सेठ कहलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सांवलिया सेठ ही मीरा बाई के वो गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह दिन रात पूजा किया करती थीं।