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जग्गा-बलिया सर्जरी: एक को दी हुई दवा जाती थी दूसरे के शरीर में, ये थीं ऑपरेशन की 5 चुनौतियां

एम्स न्यूरो डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर ए के महापात्रा ने सर्जरी से पहले कहा था कि ऐसे केस काफी मुश्किल होते हैं और इनमें सफलता के चांस भी कम होते है।

Oct 27, 2017 / 01:59 pm

Kapil Tiwari

Twins jagga baliya
नई दिल्ली: बीते बुधवार को उड़ीसा के कंधमाल के रहने वाले जग्गा-बलिया को नई जिंदगी मिल गई। जन्म से ही दोनों के सिर आपस में जुड़े हुए थे, जिन्हें एम्स के डॉक्टरों ने एक सफल सर्जरी के बाद अलग कर दिया। 16 घंटे तक चला ये ऑपरेशन डॉक्टर्स की टीम के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। इस सर्जरी से पहले डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम के सामने कई चुनौतियां थी, जिसमें जरा सी भी लापरवाही से बच्चों की जान तक जा सकती थी। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि दोनों बच्चे अभी वेंटिलेटर पर हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
सर्जरी से पहले बॉडी में था इन्फेक्शन
AIIMS न्यूरो डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर ए के महापात्रा ने भी सर्जरी से पहले कहा था कि ऐसे केस काफी मुश्किल होते हैं और इनमें सफलता के चांस भी कम होते हैं। ए के महापात्रा के मुताबिक, दोनों बच्चों का ब्रेन भी आपस में जुड़ा होना डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती है। डॉक्टरों ने कहा था कि सर्जरी से पहले बच्चों को इन्फेक्शन था और इस वजह से कई टेस्ट नहीं किए जा सके थे। न्यूरो डॉक्टर दीपक गुप्ता ने कहा था कि सिर जुड़े होने की वजह से 2 बच्चों की ऑपरेशन का सेटअप तैयार करना ही चुनौती था।
दोनों की अलग-अलग सेहत थी चैलेंज
डॉक्टर्स और विशेषज्ञों की टीम के मुताबिक, बच्चों का बचना उनके शरीर के मुख्य अंगो पर निर्भर था। डॉक्टरों ने बताया कि वैसे तो दोनों बच्चे जुड़वां थे, लेकिन जब इन्हें इलाज के लिए लाया गया था तो जग्गा सेहतमंद था और बलिया कमजोर था। डॉ. महापात्रा ने कहा कि आखिरी फेज में सबसे ज्यादा मुश्किल इस बात की थी कि बलिया को दी जाने वाली मेडिसिन की ज्यादातर मात्रा जग्गा के शरीर में चली जाती थी। इस वजह से जग्गा के हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ रहा था। इसलिए उसके हार्ट में अभी भी दिक्कत है।
वहीं, दूसरी ओर बलिया के शरीर में लिक्विट की कमी हो रही थी, जिसकी वजह से उसकी किडनी पर असर पड़ा है। जग्गा के दिल में जाने वाले खून की मात्रा काफी अधिक थी, इसलिए दिल को ज्यादा खून के लिए पंप करना पड़ रहा था।
पीठ और जांघ से ली गई स्किन
प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के चीफ फ डॉ. मनीष सिंघल के मुताबिक, इस सर्जरी के लिए स्किन की भी जरूरत थी, जो जग्गा और बलिया की पीठ और जांघ से ली गई। मनीष सिंघर ने बताया कि पीठ की स्किन लेकर सिर पर लगाई गई और जांघ स स्किन लेकर पीठ पर लगाई गई। जग्गा और बलिया के सिर के ऊपरी हिस्से में फिलहाल कोई बोन नहीं है। अभी स्किन के माध्यम से सिर की री-कंस्ट्रक्टिव सर्जरी की गई है। घाव भरने और सेहत में सुधार होने के बाद संभव है कि दोनों की एक सर्जरी और की जाए। इसके बाद स्कल पूरी तरह से तैयार की जाएगी।
एक की दवाई जा रही थी दूसरे की शरीर में
जग्गा-बलिया की सर्जरी को लीड कर रहे न्यूरो साइंसेज सेंटर के चीफ प्रो. एके महापात्रा ने बताया कि पहली सर्जरी के बाद बलिया को दिक्कत हो रही थी। उसे दौरे पड़ रहे थे। इसके बाद जब उसे मिर्गी की मेडिसिन दी जा रही थी तो वह मेडिसिन जग्गा में चली जाती थी। कुछ समय के बाद यह देखा गया कि बलिया को असर नहीं हो रहा है। तब जाकर दो मरीजों वाली डोज देनी शुरू की गई।
इन डॉक्टर्स ने की थी सर्जरी

– न्यूरो सर्जन प्रो. एके महापात्रा, प्रो. एसएस काले, प्रो. दीपक गुप्ता, डॉ. राजीव शर्मा, डॉ. श्वेता केडिया और डॉ. अनमोल रहेजा।

– प्लास्टिक सर्जरी में प्रो. मनीष सिंघल, डॉ. शशांक चौहान और डॉ. राजा तिवारी।
न्यूरो एनेस्थीसिया में प्रो. अरविंद चतुर्वेदी, प्रो. मिहिर प्रकाश पांडिया और प्रो. गिरिजा प्रसाद रथ।

– कार्डियक एनेस्थीसिया में प्रो. संदीप चौहान, प्राे. शंभु नाथ दास और प्रो. विश्वास मलिक।

– अन्य विभाग से: पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर प्रो. राकेश लोढ़ा, डॉ. झुमा शंकर। पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी प्रो.अनिता सक्सेना। पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी प्रो. शेफाली और डॉ. प्रशांत जोहरी। पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी प्रो. अरविंद बग्गा, डॉ. अदिति सिन्हा। न्यूरो रेडियोलॉजी प्रो. एसबी गायकवाड़, डॉ. अनूप प्रभाकर। कार्डियक सर्जरी से प्रो. वी देवागौरु, प्रो.मिलिंद होते।
– ब्लड बैंक से डॉ. अंजलि हजारिका और बैक्टीरियोलॉजी से प्रो. आरती कपिल।

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