आंध्र प्रदेश में मिल रही कोरोना की देसी दवा, पड़ोसी राज्यों से भी उमड़ रही लोगों की भीड़
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जारी कोरोना वायरस की दूसरी के चलते 18 मार्च से 18 मई के बीच 0-9 वर्ष की उम्र के 39,846 और 10-19 वर्ष के बीच की उम्र के 1,05,044 बच्चे ने कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। रिपोर्ट में कर्नाटक का हवाला देते हुए बताया गया कि इस साल 18 मार्च तक कोविड-19 संकट शुरू होने के बाद से संबंधित संख्या क्रमशः 27,841 और 65,551 थी। आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में इस साल 18 मार्च तक 28 बच्चों ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया, जबकि तब से 18 मई तक 15 और मौतें हुईं।
पिछले दो महीनों में, किशोरों की मृत्यु 46 से बढ़कर 62 हो गई है। दूसरी लहर के दौरान, बच्चों की मृत्यु का मासिक औसत पहले की तुलना में तीन गुना और किशोरों के मामले में दोगुना हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ श्रीनिवास कासी ने बताया कि “कोविड-19 के लिए एक व्यक्ति के संक्रमित पाए जाने के दो दिनों के भीतर, उसके परिवार के बाकी सदस्य भी पॉजिटिव मिल रहे हैं।
कोविड के साथ अनियंत्रित डायबिटीज बन सकती है ब्लैक फंगस का कारण: AIIMS डायरेक्टर
बॉरिंग और लेडी कर्जन अस्पताल के एक अन्य बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बड़ों की तुलना में बच्चे आसानी से संक्रमित हो जाते हैं क्योंकि वे घर पर परिवार के अन्य सदस्यों के निकट संपर्क में रहते हैं। डॉक्टर ने सलाह दी है कि एक बार जब बच्चों में मामूली लक्षण दिखाई दें, तो उनकी देखभाल करने वालों को उनसे अलग होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड -19 के लिए अधिकांश बच्चों का इलाज घर पर ही किया जा सकता है।
डॉक्टर ने बताया कि बच्चों में बुखार, खांसी, उल्टी या दस्त जैसे लक्षण दिखने पर उनका कोविड टेस्ट कराया जाना चाहिए। इसके साथ ही उनको तुरंत घर में आइसोलेट कर दें, हालांकि एक व्यक्ति उनकी देखभाल करने के लिए जरूर होना चाहिए ताकि उनका ध्यान रखा जा सके। डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों का सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट समेत अन्य कोई भी जांच नहीं कराई जानी चाहिए।