एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमें इस मामले में कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से मंजूरी मिल गई है।”
वहीं, सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ( Kanhaiya Kumar ) ने ट्वीट कर केजरीवाल सरकार ( Kejriwal Government ) को धन्यवाद कहा है। कन्हैया ने आगे कहा, ‘दिल्ली सरकार को राजद्रोह का केस चलाने की अनुमति देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
इस दौरान उन्होंने दिल्ली पुलिस और सरकारी वकीलों से इस केस को गंभीरता से लेने का आग्रह किया।
उन्होंने लिखा कि इस मामले का फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल ( Speedy trial ) हो और कानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।’
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आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल सेल) ने 19 फरवरी को दिल्ली के गृह सचिव को पत्र लिखकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( JNU ) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ( Kanhaiya Kumar ) से जुड़े JNU देशद्रोह मामले में मंजूरी देने की प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया था।
इसके लिए स्पेशल सेल के DCP प्रमोद सिंह कुशवाहा ने पत्र लिखकर मुकदमा चलाए जाने के लिए प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने छात्र नेता कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से जेएनयू देशद्रोह मामले में मंजूरी से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
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अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने भी दिल्ली पुलिस को सरकार को एक अनुस्मारक (रिमाइंडर/याद दिलाना) भेजने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीश ने कहा कि नई सरकार का गठन किया गया है, एक अनुस्मारक भेजें। अदालत अब इस मामले में तीन अप्रैल को सुनवाई करेगी।
सुनवाई की पिछली तारीख को अरविंद केजरीवाल सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
इसके अलावा यह भी कहा गया कि फाइल दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के समक्ष लंबित है, जो गृह मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल रहे हैं।
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सरकारी वकील ने अदालत में एक पत्र प्रस्तुत करके जवाब दाखिल किया है। उल्लेखनीय है कि नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और मकबूल बट को दी गई फांसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का आयोजन किया गया था।
इस मामले में कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बान को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने देश विरोधी नारेबाजी का समर्थन किया था।
कन्हैया उस वक्त जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे। इस गिरफ्तारी के खिलाफ देशभर में अलग-अलग विश्वविद्यालय परिसरों में विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला था।
हालांकि, बाद में तीनों को जमानत दे दी गई थी।