जस्टिस दीपक मिश्रा के शपथ ग्रहण के दौरान उप राष्ट्रपित वैंकेया नाययू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर समेत कई कैबिनेट मंत्री उपस्थित रहे। शपथ के बाद जस्टिस दीपक मिश्रा को पीएम ने बाधई दी। जस्टिस दीपक मिश्रा ने वहां मौजूद सभी लोगों से मुलाकात भी की।
3 अक्तूबर 1953 को ओडिशा में जन्मे जस्टिस दीपक मिश्रा ने 14 फरवरी 1977 से वकालत शुरू की थी। वह सिविल, क्रिमिनल, कर संबंधी मामलों की वकालत करते थे। वह 17 जनवरी 1996 को ओडिशा हाईकोर्ट में एडीशनल जज नियुक्त किए गए थे। उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 3 मार्च 1997 को ट्रांसफर कर दिया गया था। 19 दिसंबर 1997 को वह स्थायी जज नियुक्त हुए। उन्होंने 23 दिसंबर 2003 को पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस का कार्यभार संभाला। 24 दिसम्बर 2009 को बिहार के तत्कालीन राज्यपाल देवानंद कुंवर ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी थी। जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के 24 मई 2010 को चीफ जस्टिस बनाए गए।
आतंकी मेमन केस में रातभर की थी सुनवाई
दीपक मिश्रा का नाम सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक फैसले के लिए लिया जाता है। दीपक मिश्रा ने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। इनमें याकूब मेमन की रातभर पर सुनवाई के बाद फांसी की सजा बरकरार रखा था। जुलाई 2015 में, जस्टिस दीपक मिश्रा ने तीन जजों के साथ आतंकी याकूब मेमन की अपील पर अंतिम पलों में ऐतिहासिक सुनवाई की थी।
निर्भया कांड में सुनाया था बड़ा फैसला
2012 में निर्भया कांड में भी जस्टिस दीपक मिश्रा ने बड़ा फैसला सुनाया था। निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इसके अलावा जस्टिस मिश्रा ने ही देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रीय गान के आदेश जारी किए थे।