हॉस्टल खाली करने वालों में सबसे अधिक संख्या छात्राओं की है। हॉस्टल खाली कर चुकी तस्लीम, आलिया, इशरत ने बताया कि वे जामिया में बढ़ चुके तनाव व हिंसा से बुरी तरह भयभीत हैं और इसी डर से वे और उनके अन्य सहपाठी हॉस्टल खाली कर दिल्ली में अपने रिश्तेदारों के घर या फिर अपने पैतृक निवास लौट रहे हैं।
जरूरी सामान लेकर ये छात्राएं अपने-2 घरों के लिए रवाना हो गईं। सानिया नामक एक छात्रा ने बताया कि वह इस हिंसक माहौल में स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। छात्राओं ने बताया कि रविवार की घटनाओं के बाद उनके परिजन भी बुरी तरह डर गए हैं।
विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर बने हालात के बाद परिजन लगातार इन छात्र-छात्राओं से घर लौटने के लिए कह रहे हैं। इनमें से कई छात्राएं इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा भी नहीं रही हैं।
प्रोफेसर माजिद जमील के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन इन छात्र-छात्राओं में विश्वास बहाली के लिए प्रयास करेगा, ताकि छात्र बिना किसी भय के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें। प्रोफेसर जमील ने उम्मीद जताई कि पांच जनवरी को छुट्टियां समाप्त होने के साथ ही अधिकांश छात्र जामिया लौट आएंगे।
जामिया के छात्र-छात्राएं नागरिक संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे और रविवार को छात्र-प्रदर्शन के दौरान कुछ शरारती व बाहरी तत्वों ने जमकर हिंसा भी की। उपद्रवियों ने कई बसों व दुपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पांच जनवरी तक अवकाश घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही यहां होने वाली परीक्षाओं को भी कुछ समय के लिए टाल दिया गया है।
दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में बुधवार को भी नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ पिछले छह दिन से चला आ रहा छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने भी यहां विरोध मार्च निकाला।