ये है जीवन समाप्त करने की वजह
दरअसल इस आदेश में सर्वोच्च न्यायालय सेवकों के वंशानुगत अधिकारों को खत्म करने का सुझाव दिया था और आदेश दिया था कि किसी भी भक्त को चढ़ावे के लिए पुजारियों को मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। मंदिर के पुजारी नरसिंह पुजापांडा का कहना है कि उनकी आय का एकमात्र स्रोत भक्तों के उपहार और मंदिर में किया गया दान था।
पुजारी ने बुधवार को अपनी याचिका में लिखा है, ‘हम उनसे (मुख्य न्यायाधीश) विनती करते हैं कि इसे न रोकें, क्योंकि एक हजार साल से अधिक समय से ऐसा ही होता आ रहा है। अदालत और सरकार हमारी आय का एकमात्र स्रोत रोकने की कोशिश कर रही है। हम आय के बिना कैसे जीवित रहेंगे?’