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बाढ़ में फंसे लोगों को दी थी लिफ्ट
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नितिन पिछले हफ्ते ही अंधेरी स्थित अपने ऑफिस के लिए जा रहे थे । इसी दौरान उन्हें रास्ते में बाढ़ में फंसे लोग मिल गए। नितिन ने उनकी सहायता करते हुए उन्हें अपनी कार में लिफ्ट दे दी। लेकिन कार में लोगों के बैठाने को लेकर ट्रैफिक पुलिस ने उसका चालान काट दिया, जिसके एवज में उन्हे 1500 रुपए भुगतान करना पड़ा। साथ ही अपना लाइसेंस लेने के लिए जगह-जगह चक्कर भी लगाना पड़ा।
लगाने पड़े दर-दर के चक्कर
नितिन ने बताया कि उसने बाढ़ में फंसे एक बुजुर्ग व्यक्ति और उनके साथ दो अन्य लोगों को कार में लिफ्ट दी थी। मदद करते समय नितिन को बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि यह मदद उन पर इतना भारी बड़ेगा की उन्हें पैसे भी देने होंगे और लाइसेंस पाने के लिए दर-दर चक्कर काटना भी पड़ेगा।
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फेसबुक पर लिखी अपनी आपबीती
आपको बता दें कि यह पूरा वाक्या तब सामने आया जब नितिन ने अपनी आपबीती फेलबुक पर शेयर की, जिसके बाद यह पोस्ट सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो गया। वहीं , अपनी फेसबुक पोस्ट के बारे में मीडिया से बात करते हुए नितिन ने बताया कि कि मेरा उद्देश्य लोगों की सिर्फ मदद करना था लेकिन मुझे इसके बदले ये मिला। नितिन ने कहा कि हमार अगर हमारे देश में ऐसे कानून हैं तो सड़क पर मर रहे लोगों की भी कोई मदद नहीं करेगा।”
इस वजह से लगा जुर्माना
वीइकल ऐक्ट की धारा 66 (1) और धारा 192 (A) के तहत कोई भी व्यक्ति पर्सनल कार का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन के लिए नहीं कर सकता है, क्योंकि अपनी कार में बाहरी लोगों को बिठाकर ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट लाइसेंस की जरूरत होती है। इसी ऐक्ट को तहत ट्रैफिक पुलिस ने नितिन पर ये जुर्माना लगाया था।