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वैज्ञानिक जांच में हुआ बड़ा खुलासा, लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के चलते विक्रम लैंडर क्रैश!

वैज्ञानिक बोले- प्रोग्राम को लागू करने से पहले इसका सही परीक्षण जरूरी
लैंडिंग प्रोग्राम में चूक की वजह विक्रम लैंडर क्रैश की आशंका
वैज्ञानिकों की टीम जांच में जुटी

Sep 22, 2019 / 12:07 pm

Prashant Jha

वैज्ञानिक जांच में हुआ बड़ा खुलासा, लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी चलते विक्रम लैंडर क्रैश!

वैज्ञानिक जांच में हुआ बड़ा खुलासा, लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी चलते विक्रम लैंडर क्रैश!

नई दिल्ली। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया। अब पूरे देश को भी यह उम्मीद धीरे-धीरे खत्म होने लगी है। वैज्ञानिक जांच में यह संकेत मिला है कि संपर्क होना मुश्किल ही नहीं बहुत नामुमकिन है। इसरो वैज्ञानिकों को 7 सितंबर को ही पता चल गया था कि लूनर क्राफ्ट क्रैश लैंडिंग के बाद पूरी तरह से खत्म हो गया है। चंद्रयान-2 की असफलता का आकलन कर रही टीम का मानना है कि ऑटोमैटिक लैंडिंग्र प्रोग्राम (ALP) में गड़बड़ी के चलते विक्रम लैंडर खराब हो गया।

वैज्ञानिकों की मानें तो विक्रम लैंडर यहा तो पलट गया है या मुड़ गया जिससे वह क्रैश हो गया। बता दें कि लैंडर से संपर्क होने के लिए 36 घंटों से भी कम का समय शेष बचा है।

विक्रम लैंडर सही होने की उम्मीद नहीं

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1,471 किलो का विक्रम और इसके साथ जुड़ा 27 किलोग्राम का रोवर प्रज्ञान चांद की सतह से पहले ही कुछ ही दूरी पर क्रैश कर गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी तक की रिसर्च से ऐसा लग रहा है कि अब क्रैश के बाद विक्रम लैंडर के फिर से काम करने की उम्मीद नहीं बची है।

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लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के चलते संपर्क टूटा?

विक्रम लैंडर का आकलन कर रही टीम के वैज्ञानिकों का मानना है कि लैंडिंग प्रोग्रामिंग में गड़बड़ी होने के चलते लैंडर का एक्सीडेंट हुआ। लैंडिंग प्रोग्राम यूआर राव सैटलाइट सेंटर बेंगलुरु की ओर से लिखा गया था। हालांकि एक वैज्ञानिक का कहना है कि लैंडिंग प्रोग्राम को जारी करने से पहले इसका सही तरह से परीक्षण होना जरूरी है। इसकी जांच की जाएगी। इसकी जानकारी लेनी होगी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह को छूने से 15 मिनट पहले तक की दूरी और ऊंचाई के आधार पर कंट्रोल सुनिश्चित करना था।

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कई दिनों तक एक्टिव रहा लैंडर

गौरतलब है कि इसरो ने लैंडर से संपर्क साधने के लिए 14 दिन का वक्त तय किया था। 21 सितंबर यानी कल खत्म हो रहा है। ऐसे में अब देश की उम्मीदें भी खत्म हो रही है। ऐसे में संपर्क साधना बेहद मुश्किल है। इसरो के मुताबिक चांद की सतह पर उतरने के बाद भी विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान चार दिनों तक काम करता रहा।

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