कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया था कि सबसे बड़ी युवा आबादी के साथ, भारत एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है जहां से एक सुपर इकोनॉमी बनने का सपना एक मीठी संभावना है। भारत के श्रम कानून और रिफॉर्म को हमेशा मिली-जुली प्रतिक्रिया मिलती आई है। ऐसे में, देश में काम ? कर रहे संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए मौजूदा कानूनों और अधिकारों और उनमें चल रहे सुधारों से की जानकारी रखना बहुत जरूरी है।
1. फैक्टरीज एक्ट, 1948
यह एक्ट (अधिनियम) कारखाने के श्रमिकों की रक्षा के लिए है, और इसके प्रावधानों में स्वास्थ्य, सुरक्षा, उचित वर्किंग आवर आदि का ध्यान रखना शामिल हैं। यह न केवल कामकाजी घंटों को निर्दिष्ट करता है, बल्कि श्रमिकों को ओवरटाइम (शिफ्ट से अधिक काम करने की स्थिति में) के लिए भुगतान भी सुनिश्चित करता है। साथ ही नाइट शिफ्ट के नियम, जैसे ये रोटेशन के आधार पर होना चाहिए, और कंपनी को शिफ्ट लगाने के लिए पहले से कर्मचारियों को सूचित करना होगा। इसके अलावा कोई महिला कार्यकर्ता रात 10 बजे से सुबह 5 बजे के बीच काम नहीं करना चाहिए, और रात की शिफ्ट के मामले में, शिफ्ट से 24 घंटे पहले ही उसे एक नोटिस देने जैसे प्रावधान इस नियम में शामिल हैं।
2. ग्रैच्युइटी भुगतान एक्ट, 1972
ग्रैच्युइटी एक सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाला लाभ है जो कार्यकाल के दौरान दी गई सेवाओं के लिए धन्यवाद का प्रतीक है। किसी भी संस्थान जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं उनको श्रमिकों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना अनिवार्य है। लेकिन ये लाभ उन कर्मचारियों को ही मिलना तय है जिन्होंने 12 महीने या उससे अधिक समय तक उस जगह काम किया है। यदि नियोक्ता ग्रेच्युटी प्रदान करने में विफल रहता है, तो उसे न्यूनतम छह महीने से लेकर अधिकतम दो साल की जेल हो सकती है।
3. कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान एक्ट, 1952
ईपीएफ एक्ट एक ऐसे प्रतिष्ठान, जिसमें 20 या अधिक लोग काम करते हैं, के कर्मचारी को पेंशन और बीमा कवर जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करता है। सरकार ने 2014 में इस अधिनियम में संशोधन किया और वेज सीलिंग 6,500 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 15,000 रुपए प्रति माह कर दी। पेंशन योग्य वेतन सदस्यता समाप्त होने से पहले, पिछले 12 महीनों के मासिक वेतन का औसत के बराबर होता है।
4. बोनस भुगतान एक्ट, 1965
20 या उससे अधिक श्रमिकों वाले किसी प्रतिष्ठान में काम कर रहे एक कर्मचारी के पास इस अधिनियम के तहत बोनस का अधिकार है। बोनस कर्मचारी के वेतन का 8.33% से 20% हि नहीं होगा। 2015 में, सरकार ने इस अधिनियम को संशोधित किया, जिससे कर्मचारियों के एक बड़े पूल को कवर किया गया।
5. समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
यह अधिनियम जेंडर के आधार पर श्रमिकों के बीच भेदभाव को रोकने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम के मुताबिक, नियोक्ता कंपनी वेतन, प्रशिक्षण, ट्रांसफर और प्रमोशन के मामलों में जेंडर के आधार पर बीच भेदभाव नहीं कर सकती है। अधिनियम के अनुसार एक ही काम के लिए पुरुषों और महिला श्रमिकों को समान काम के लिए बराबर पारिश्रमिक प्रदान करना है।