मानवीय संवेदनहीनता ( Human Insensitivity ) का दुखद पहलू यह है गर्भवती का पति ने अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए नोएडा-गाजियाबाद में 8 अस्पतालों के दरवाजे पर दस्तक दिया लेकिन सभी ने इलाज करने से इनकार कर दिया। नौवें अस्पताल के लिए निकला ही था कि गर्भवती ने एम्बुलेंस में दम तोड़ दिया। इस घटना की सूचना मिलने पर डीएम एलवाई सुहास ( DM LY Suhas ) जांच के आदेश दिए हैं।
Tamilnadu : एमजीआर यूनिवर्सिटी का दावा – 15 जुलाई तक Chennai छू लेगा 1.5 लाख Corona केस का आंकड़ा टाइफायड से पीड़ित थी महिला दरअसल, खोड़ा के आजाद विहार ( Khoda-Azad Vihar ) में रहने वाली नीलम (30) का टाइफायड का इलाज चल रहा था। शुक्रवार सुबह तबीयत खराब होने पर उसे नोएडा ईएसआईसी अस्पताल ले जाया गया। नीलम के पति विजेंद्र सिंह का कहना है कि वहां भर्ती न किए जाने पर पहले जिला अस्पताल और फिर फोर्टिस, जेपी, शारदा व ग्रेटर नोएडा के जिम्स ले गए। मगर इलाज नहीं मिला। वैशाली स्थित मैक्स से भी मायूसी मिली। तब तक नीलम जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थी। इसके बाद परिजन दोबारा जिम्स की ओर चले, मगर इस बीच एंबुलेंस में उसकी सांसें टूट गईं।
एडीएम और सीएमओ करेंगे मामले की जांच इस मामले में गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा कि यह एक गंभीर ( Serious Case ) मामला है। सीएमओ और एडीएम इसकी जांच करेंगे। दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी। अस्पतालों को संवेदनशील होने की जरूरत है। मरीज को आपात स्थिति में इलाज मिलना चाहिए। सभी अस्पतालों को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं।
Weather Forecast : 9 वर्षों में अब तक सबसे ठंडा रहा जून, Delhi में 15 तक झुलसाने वाली गर्मी से राहत 8 अस्पतालों ने किया भर्ती से इनकार नीलम के पति विजेंद्र का आरोप है कि अस्पतालों ने भर्ती करने से ही इनकार कर दिया। पूरे दिन कोशिश के बाद भी अपनी पत्नी नहीं बचा सका। रोते हुए विजेंद्र ने कहा कि अगर कोई देख लेता तो वह बच जाती। विजेंद्र के भाई शैलेंद्र के मुताबिक जिम्स में एक चिकित्सक ने शव ले जाने के लिए उनकी मदद की और एंबुलेंस ( Ambulance ) की व्यवस्था कराई। फोन करने पर सरकारी एंबुलेंस 4 घंटे बाद आई।