यही नहीं इसके साथ ही आईएमए ने ये भी मांग की है कि लोगों के लिए कोविड-19 टीका वहनीय बनाने के लिए जन औषधि योजना के तहत इसे खुले बाजार में उतारना चाहिए। यह भी पढ़ेंः
देश में नहीं थम रही Coronavirus की जानलेवा रफ्तार, बीते 24 घंटे में 3.45 लाख नए केस के साथ डरा रहा मौत का आंकड़ा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर कहा कि 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन के लिए जो खर्च आएगा, वह कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने से होने वाले आर्थिक लाभ के मुकाबले काफी कम है।
यही नहीं डॉक्टरों के संगठन ने कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण सरकार के लिए भी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इससे न सिर्फ व्यक्ति सुरक्षित होता है बल्कि समुदाय की सुरक्षा बढ़ाती है। यही नहीं हर्ड इम्यूनिटी का भी रास्ता साफ होता है।
कीमत में भी हो पारदर्शिता
कोरोना वैक्सीन को लेकर सीरम इंस्टिट्यूट पहले ही कीमतें तय कर चुका है, हालांकि केंद्र और राज्यों को दी जा रही कीमतों में अंतर को लेकर विवाद शुरू हो चुका है। इस बीच आईएमए ने भी कहा है कि टीके की कीमत तय करने में भी पारदर्शिता होनी चाहिए।
आईएमए ने कहा,‘अब उत्पादकों को कीमत तय करने की अनुमति दी गई है। यह काफी चौंकाने वाली बात है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने टीके की एक खुराक की कीमत 600 रुपए तय की है।
आईएमए इसमें पारदर्शिता की मांग करता है और सरकार से अनुरोध करता है कि 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को मुफ्त में टीका दिया जाए। यह भी पढ़ेंः
Hypertension रोगियों में Coronavirus का ज्यादा खतरा, ये फूड्स और योग क्रियाएं होंगी मददगार इसके साथ ही डॉक्टरों के संगठन ने केंद्र ये भी मांग की है कि वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का इस्तेमाल हो। अगर बजट में आवंटित 35 हजार करोड़ रुपए का इस्तेमाल टीकाकरण में नहीं किया जाता है तो इससे सरकार की अच्छी मंशा विनाश में बदल जाएगी।
आपको बता दें कि टीके कीमतों को लेकर कई दल अब तक विरोध कर चुके हैं। कांग्रेस चेयरपर्सन सोनिया गांधी से लेकर आम आदमी पार्टी प्रमुक अरविंद केजरीवाल तक ने वैक्सीन की एक समान कीमत ना होने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।