Indian astronomers की बड़ी उपलब्धि, सबसे दूर सितारों की आकाशगंगा का पता लगाया
भारतीय खगोलविदों ने ब्रह्मांड में सबसे दूर स्थित सितारों की आकाशगंगाओं ( galaxies ) में से एक की खोज की।
भारत की पहली स्पेस ऑब्जर्वेटरी “एस्ट्रोसैट” ( Astrosat satelite news ) ने पृथ्वी से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर इस आकाशगंगा को खोजा।
ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली एक शीर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिका “नेचर एस्ट्रोनॉमी” में इसकी जानकारी दी गई है।
Indian astronomers discovered one of the earliest galaxies in the universe
नई दिल्ली। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अंतरिक्ष मिशनों में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर भारतीय खगोलविदों ने सितारों की आकाशगंगाओं ( galaxies ) में से एक की खोज की है जो ब्रह्मांड में सबसे दूर स्थित हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को यह जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ स्पेस ऑब्जर्वेटरी “एस्ट्रोसैट” ( Astrosat satelite news ) ने यह कारनामा किया है। इसने पृथ्वी से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक आकाशगंगा से अत्यधिक-यूवी प्रकाश का पता लगाया है।
उन्होंने आगे कहा कि AUDFs01 नामक इस आकाशगंगा की खोज पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) के डॉ. कनक साहा के नेतृत्व में खगोलविदों के एक समूह ने की। इस मौलिक खोज के महत्व और विशिष्टता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली एक शीर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिका “नेचर एस्ट्रोनॉमी” में इसकी जानकारी दी गई है। भारत का एस्ट्रोसैट/यूवीआईटी इस अनूठी उपलब्धि को हासिल करने में इसलिए सक्षम रहा क्योंकि यूवीआईटी डिटेक्टर में बैकग्राउंड नॉइस अमरीका स्थित नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप की तुलना में काफी कम है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी है कि वे एक बार फिर दुनिया के सामने यह साबित कर दिखाने में सफल रहे कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमता एक विशिष्ट स्तर पर पहुंच गई है। हमारे वैज्ञानिक अब दुनिया के अन्य हिस्सों में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को संकेत दे रहे हैं और उन्हें रास्ता दिखा रहे हैं।
प्रोफेसर श्याम टंडन के मुताबिक ये शानदार स्पेशियल रिज़ोल्यूशन और ऊंची संवेदनशीलता दरअसल एक दशक से भी लंबे वक्त तक की गई वैज्ञानिकों की यूवीआईटी कोर टीम की कड़ी मेहनत को एक सम्मान है।
आईयूसीएए के निदेशक डॉ. सोमक राय चौधरी ने कहा, “यह ब्रह्मांड के अंधकारमय युग के खत्म होने तथा ब्रह्मांड में प्रकाश की उपस्थिति को बताने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी है। हमें यह जानने की आवश्यकता है कि इसकी शुरुआत कब हुई, लेकिन प्रकाश के आरंभिक स्रोतों के बाद में पता लगाना बहुत मुश्किल था। मुझे बहुत गर्व है कि मेरे सहकर्मियों ने इतनी महत्वपूर्ण खोज की है।”
गौरतलब है कि यह खोज करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसैट को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 28 सितंबर 2015 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। इस अंतरिक्ष वेधशाला को इसरो के पूर्ण सहयोग के साथ आईयूसीएए के पूर्व एमेरिटस प्रोफेसर श्याम टंडन के नेतृत्व में एक टीम द्वारा विकसित किया गया था।