हथियारों से लैस वाहनों को हटाने के पीछे भारतीय सेना की खास रणनीति भी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन वाहनों का निर्माण देश में ही करने का फैसला लिया गया है। इसको लेकर 23 जून को सेना की तरफ से निर्माताओं से प्रस्ताव भी मांगे गए हैं।
जिन वाहनों को हटाने की कवायद चल रही है, ये बुलेट प्रूफ वाहन होते हैं। इनमें हथियार भी फिट रहते हैं और युद्ध क्षेत्र में सैनिकों के आवागमन, जवाबी हमलों आदि के लिए बेहद सुरक्षित माने जाते हैं। भारी गोला बारुद के हमले का भी इन पर कोई असर नहीं होता है।
कांबेट व्हीकल से जुड़े तथ्य |
1700 कांबेट व्हीकल सेना के पास |
1980 के दशक के हैं ज्यादातर वाहन |
0 से 30 डिग्री नीचे और 45 डिग्री से ज्यादा तापमान में भी ये वाहन काम करने में सक्षम |
10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से नदी, नालों, जंगल, रेल आदि कहीं भी चलने में सक्षम |
60-65 हजार करोड़ की कुल लागत के चलते इन वाहनों की खरीदी टल रही |
75 से 100 वाहन हर वर्ष अब आपूर्तिकर्ताओं को देना होंगे |
55 फीसदी वाहन गन यानी बंदूकों से लैस होंगे जबकि बाकी अन्य सुविधाओं से लैस |
दरअसल भारतीय सेना ने 1980 के दशक में रूस से बीएमपी व्हीकल खरीदे थे। मौजूदा समय में सेना के पास करीब 1700 ऐसे वाहन हैं। बाद में कुछ वाहन आर्डिनेंस फैक्टरियों ने भी बनाकर दिए थे। तब से यही चल रहे हैं।
लेकिन अब भारतीय सेना इन वाहनों की जगह फ्यूचरिस्टिक इंफेंट्री कांबेट व्हीकल ( FIVC ) खरीदेगी।
सेना में मौजूद इन व्हीकल्स को अब विंटेज व्हीकल के रूप में जाना जाता है। यही वजह है कि इन्हें बदलने की जरूरत है। लेकिन इनकी बड़ी लागत करीब 60 से 65 हजार करोड़ के बजट के चलते ये खरीदारी लंबे समय से टल रही है।
सेना की से घरेलू निर्माताओं को फाइनल किया जाएगा उन आपूर्तिकर्ताओं को हर वर्ष सेना को 75 से 100 वाहन देना होंगे। इसको लेकर बकायदा कांट्रेक्ट साइन करवाया जाएगा।
निर्माताओं से एक सप्ताह में प्रस्ताव मांगे गए हैं। बता दें कि यह वाहन शून्य से 20-30 डिग्री नीचे और 45 डिग्री से भी अधिक तापमान में कार्य करने में सक्षम होते हैं।