कोविड -19 बायोमेडिकल कचरे में पीपीई किट, मास्क, जूते के कवर, दस्ताने, मानव ऊतक, रक्त से दूषित वस्तुएं, शरीर के तरल पदार्थ जैसे ड्रेसिंग, प्लास्टर कास्ट, रूई, रक्त के साथ दूषित बिस्तर या शरीर के तरल पदार्थ, ब्लड बैग, सुई, सीरिंज आदि शामिल हो सकते हैं।
– 7 महीने में देशभर में तेजी से बढ़ा कोविड-19 बायोमेडिकल वेस्ट
– 32994 टन कचरे का हुआ उत्पादन
– 198 आम बायोमेडिकल उपचार सुविधाएं कर रहीं काम
– 550 टन कचरे का उत्पादन सिर्फ अक्टूबर के महीने में
– 3587 टन कचरा सिर्फ महाराष्ट्र राज्य से
कोरोना कचरे की बात करें तो देश में सबसे आगे महाराष्ट्र ही रहा। यहां पर पिछले सात महीने में महाराष्ट्र ने 5367 टन कचरा उत्पन्न हुआ। ये अन्य राज्यों के मुकाबले लगभग दोगुना रहा। आपको बता कोरोना वायरस से संक्रमित केस भी महाराष्ट्र में ही सबसे ज्यादा रहे, लिहाजा यहां कचरा ज्यादा उत्पन्न होना ही था।
इसे नष्ट करने के लिए 198 आम बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार सुविधाएं (CBWTFs) काम कर रही हैं।
महाराष्ट्र के बाद कोविड कचरा उत्पन्न करने में केरल दूसरे नंबर है, यहां सात महीनों में 3,300 टन कचरा एकत्र हुआ। जबकि गुजरात में 3,086 टन, तमिलनाडु में 2,806 टन, उत्तर प्रदेश में 2,502 टन, राजधानी दिल्ली में 2,471 टन, पश्चिम बंगाल में 2,095 टन और कर्नाटक में 2,026 टन कचरा उत्पन्न हुआ।