India Nepal Border Dispute: भारत का संदेश, नेपाल पर है चर्चा का रास्ता तैयार करने की जिम्मेदारी
नए नक्शे ( new map of nepal ) से सीमा विवाद ( india nepal border dispute ) को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्तों में आई है खटास।
सूत्रों के मुताबिक नेपाल ( india nepal news ) में अभी विधेयक पारित ( Nepal Parliament New Map ) होने के बाद भी बचे हुए हैं संभावना के कई रास्ते।
नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ( Nepal KP Sharma Oli ) के हाथ में है दोनों देशों के रिश्तों ( india nepal relation ) की पतवार।
India asks Nepal to discuss on table for Map issue
नई दिल्ली। यों तो सीमा विवाद ( india nepal border dispute ) को लेकर पड़ोसी मुल्क नेपाल के साथ बढ़ी तनातनी के बावजूद दोनों देशों द्वारा बातचीत के जरिये हल निकालने की बात कही जा रही है। हालांकि नेपाल द्वारा नए नक्शे ( new map of nepal ) को पास कराए जाने में दिखाई जाने वाली तेजी से ऐसा लगता तो नहीं है। पता चला है कि भारत सरकार की तरफ से दिल्ली ने काठमांडू को संदेश भेजा है। संदेश में ईशारा किया गया है कि द्विपक्षीय चर्चा के लिए राह तैयार करना नेपाल सरकार पर निर्भर करता है और केपी शर्मा ओली ( Nepal KP Sharma Oli ) को चाहिए कि वह इसका दायित्व निभाएं।
सूत्रों की मानें तो अगर नेपाल सरकार ( india nepal news ) उचित माहौल और सकारात्मक स्थिति बनाती है, तो इस विवाद को सुलझाया जा सकता है। भारत ने संदेश भिजवाया है कि फिलहाल नेपाल नए नक्शे के लिए संसदीय मंजूरी ( Nepal Parliament New Map ) लेने की प्रक्रिया को विराम दे और चर्चा करे। जबकि सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों देशों के बीच संबंधों ( india nepal relation ) को साधारण नहीं बल्कि “रोटी और बेटी” का बताते हुआ कहा था दोनों कभी भी अलग नहीं हो सकते।
UNHRC में कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत का पाकिस्तान पर वार, पहले अपने गिरेबान में झांको फिर करना बात नेपाल सरकार ने अपने नए नक्शे को मंजूरी देने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पारित ( Nepal Parliament New Map ) करने के लिए काफी तेज गति से कार्यवाही की है। इस नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के इलाके शामिल हैं। हालांकि यह इलाके उत्तराखंड के हैं, लेकिन नेपाल दावा करता है कि इन पर उसका स्वामित्व है।
नेपाल प्रतिनिधि सभा ने एक संविधान संशोधन विधेयक पारित कर दिया है और यह अब उच्च सदन में पहुंच चुका है। हालांकि उच्च सदन के सदस्यों द्वारा भारत के साथ जल्द चर्चा का आह्वान किया जा रहा है।
बीते 13 जून को भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रतिनिधि सभा में विधेयक के पारित होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि यह कृत्रिम दावा ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं है और यह सीमा मुद्दों पर बातचीत की हमारी मौजूदा समझ का उल्लंघन करता है।
विधेयक पारित होने पर भी आधिकारिक प्रक्रियाओं में राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर होना और संशोधन की अधिसूचना जारी करना शामिल है। अगर इन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है और तार्किक निष्कर्ष नहीं दिया जाता है, तो इसे एक ऐसे माहौल के रूप में भी देखा जा सकता है जहां द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है।
इस बीच राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में भाजपा कार्यकर्ताओं की जन संवाद वर्चुअल रैली में कहा कि “धारचूला से लिपुलेख के लिए बनी सड़क की वजह से नेपाल के लोगों के बीच कोई गलतफहमी है, तो मुझे लगता है कि हम एक साथ बैठकर इसका हल निकाल सकते हैं। धारचूला के आगे चाहे कितने भी तार लगाए जाएं, इन संबंधों को खत्म नहीं किया जा सकता। भारत और नेपाल के बीच संबंध कोई साधारण संबंध नहीं है। यह रोटी और बेटी का रिश्ता है।”
गौरतलब है कि बीते 8 मई को राजनाथ सिंह द्वारा मानसरोवर यात्रा मार्ग पर धारचूला से लिपुलेख तक 80 किलोमीटर की सड़क का उद्घाटन करने पर पूरे नेपाल में विरोध प्रदर्शन हुआ।
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