संडे एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दास की नियुक्ति पर औपचारिक घोषणा जल्द होने की उम्मीद है। यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब नई दिल्ली-ताइपे संबंधों के अपग्रेडेशन के लिए रणनीतिक समुदाय में इसकी जरूरत बताई जा रही है। ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर भी चीन और अमरीका के बीच झगड़ा चल रहा है।
भारत के पास अपनी वन-चाइना नीति के कारण ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। राजनयिक कार्यों के लिए ताइपे में भारत का कार्यालय है। यह भारत-ताइपे एसोसिएशन के नाम से संचालित होता है, और दास इसके नए महानिदेशक होंगे। वह श्रीधरन मधुसूदन की जगह लेंगे।
ताइवान ने भी अपने यहां की नियुक्तियों मे बदलाव किया है। ईस्ट एशियन एंड पैसिफिक अफेयर्स के महानिदेशक बाउशुआन गेर को भारत में ताइवान के प्रतिनिधि के रूप में नामित किया गया है। गेर, टिएन चुंग-क्वांग का स्थान लेंगे, जो भारत में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र में सात साल से इस पद पर तैनात थे।
संयोग से भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, “हमें आपसी मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान और समायोजन करने की आवश्यकता है, एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांत का पालन करें।” बीजिंग ( China and Taiwan ) में, ताइवान, हांगकांग, दक्षिण चीन सागर, तिब्बत और झिंजियांग के संबंध में किसी विदेशी देश द्वारा किसी भी सक्रिय कदम को “संवेदनशील” माना जाता है।
भारत ने अब तक वन चाइना नीति का पालन किया है, हालांकि दिसंबर 2010 में चीनी प्रीमियर वेन जियाबाओ की यात्रा के दौरान इसने संयुक्त विज्ञप्ति में इस नीति के लिए समर्थन का उल्लेख नहीं किया था। और वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने उन्होंने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (तिब्बती सरकार-निर्वासन) के राष्ट्रपति लोबसांग सांगे के साथ भारत में ताइवान के प्रतिनिधि चुंग-क्वांग तिएन को अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित किया।
बता दें कि विदेश मंत्रालय में अमरीका-भारत के संबंधों के साथ ही चीन और पाकिस्तान के साथ काम करने वाले संयुक्त सचिव को एक प्रमुख अधिकारी माना जाता है। भारतीय विदेश सेवा के 1999 बैच के दास चीन की भाषा मंदारिन में धाराप्रवाह हैं। 2001 से 2004 के बीच वह बीजिंग में थे। वह 2006 में प्रथम सचिव (राजनीतिक) के रूप में लौटे और 2009 तक वहीं रहे।
उन्होंने मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में विदेश मामलों का संचालन करने वाले उप सचिव के रूप में भी काम किया था। 2014 में सत्ता में हुए बदलाव के बाद उन्हें बरकरार रखा गया। वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास में काउंसलर (राजनीतिक) के रूप में उन्होंने जून 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( pm modi ) की यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका ( Indo-US relationship ) निभाई थी जब वह अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump ) से मिले थे।