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यूनाइटेड नेशन की तरफ से आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि कोरोना की वजह से भारत में शिशुओं और उनको जन्म देने वाली मां से जुड़ी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल बहुत बुरा था। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की तुलना में साउथ एशियाई देशों में 5 साल या उससे कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 228,641 हो गया है।
इस आंकड़े का 15 फीसदी हिस्सा केवल भारत से है। भारत में 154,020 और पाकिस्तान में (14%) 59,251 मौतें हुई हैं। कोरोना की वजह से मेटरनल डेथ में भी बढ़ोतरी हुई है। भारत में 7,750 और पाकिस्तान में 2,069 मेटरनल डेथ दर्ज हुई है। इसमें 15 से 19 साल की लड़कियों की संख्या ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2021 तक साउथ एशिया में कोरोना के 12 मिलियन केस सामने आ चुके है. जिसमें भारत में इसका ज्यादा प्रभाव है और 10.9 मिलियन केस सिर्फ भारत में रजिस्टर हुए हैं। हालांकि अच्छी बात ये है कि सितम्बर 2021 तक भारत कोरोना की टेस्टिंग और स्वास्थ्य सेवाओं पर 10 बिलियन रुपये खर्च करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा परिस्थिति के मुताबिक भारत को सितंबर 2021 तक टेस्टिंग के लिए 8.1 बिलियन का अतिरिक्त खर्चा करना पड़ेगा। इसके अलावा 520 मिलियन से 2.4 बिलियन तक का अतिरिक्त खर्चा स्वास्थ्य सेवाओं पर भी करना होगा। इतना खर्च करने के बाद हालात थोड़े सुधर सकते हैं।
रिपोर्ट की माने तो भारत में 490,000 से भी ज्यादा मौतें होने की संभावना है। इसके साथ ही आईसीयू में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या भी भारत में सबसे ज्यादा थी। रिपोर्ट के अनसार इस साल सितम्बर से अक्टूबर के बीच में एशिया क्षेत्र में कोरोना से 491,117 मौत होने की बात भी कही गई है। हालांकि लॉकडाउन और साफ सफाई अभियान अच्छे से चलाया जाए तो मौत का आंकड़ा घटकर 85,821 तक आ सकता है।