अगली गलती चीन को पड़ेगी भारी, सरकार ने दी न्यूक्लियर Shaurya Missile की तैनाती को मंजूरी
डीआरडीओ ने एक महीने में 4 मिसाइलों का किया सफल परीक्षण।
परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम शौर्य मिसाइल ( shaurya missile ) की तैनाती को हरी झंडी।
पड़ोसी देशों को भारत का स्पष्ट संकेत, अखंडता से नहीं होगा कोई समझौता।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जहां 5,000 किलोमीटर रेंज की पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकने वाले K-5 बैलिस्टिक मिसाइल के विकास में आगे बढ़ चुकी है, वहीं, इसने 700 किमी रेंज की सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक सामरिक मिसाइल शौर्य ( shaurya missile ) को शामिल और तैनात किए जाने के लिए चुपचाप मंजूरी दे दी है।
मिसाइल विशेषज्ञों के अनुसार शौर्य तेजी से तैनाती के लिए एक कंपोजिट कैनिस्टर में रखा जाने वाला डिलिवरी सिस्टम है, जिसे लंबे वक्त तक रखे जा सकने के साथ ही बेहद कम संपर्क की जरूरत होती है। यह सामरिक मिसाइल वायुमंडल के अंदर 50 किमी की ऊंचाई पर माक 7 या 2.4 किमी प्रति सेकंड की सुपरसोनिक गति से उड़ान भरती है और माक 4 पर निर्धारित लक्ष्य को मारती है।
इस मिसाइल को जल्द ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के मार्गदर्शन में भारतीय सामरिक बल कमान द्वारा चिन्हित स्थानों पर तैनात किया जाएगा। इस खतरनाक मिसाइल का वारहेड का वजन लगभग 160 किलोग्राम है यानी इसके अंदर इतने वजन का विस्फोटक रखा जा सकता है।
भूमि आधारित अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल के बराबर रेंज के साथ K-5 को परमाणु पनडुब्बियों के अरिहंत क्लास पर तैनात किया जाएगा। जहां मिसाइल वैज्ञानिक K-5 SLBM के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं, अगले 15 महीनों में इस हथियार प्रणाली का परीक्षण करने की उम्मीद है और फिर SSBN के 6,000 टन को अरिहंत क्लास पर तैनात किया जाएगा। दूसरी अरिहंत क्लास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी, आईएनएस अरिघाट का परिचालन अगले छह महीनों के भीतर किया जाना है।
बालासोर से DRDO द्वारा हाइपरसोनिक मिसाइल (7 सितंबर), शौर्य मिसाइल (3 अक्टूबर) और सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टारपीडो (5 अक्टूबर) को लगातार जारी करने के परीक्षण से सरकार के देश के दुश्मनों को स्पष्ट संकेत दे रही हैं कि भारत किसी भी सूरत में झुकने वाला नहीं है।
एक ऐसे समय में जब भारत लद्दाख सेक्टर में चीनी सेना के संघर्ष से जुड़ा हुआ है, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि कम दूरी की डिलिवरी प्लेटफॉर्म का परीक्षण और तैनाती स्पष्ट रूप से मोदी सरकार की किसी भी पड़ोसियों द्वारा दिखाई जा रही आक्रामकता या किसी भी कार्टोग्राफिक (नक्शा आधारित) विस्तार योजना का समर्थन नहीं करने का इरादा बताती है।