लोग सवाल उठा सकते हैं कि यह कैसे माना जाए कि भारत अपने प्रतिद्वंदी और दुश्मन देश चीन को सबसे ज्यादा पानी निर्यात करता है। तो हम आपको स्पष्ट कर दें कि यह जानकारी खुद सरकार ने साझा की है। लोकसभा में सवाल-जवाब सत्र के दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि भारत ने वर्ष 2015-16 से वर्ष 2020-21 (अप्रैल से नवंबर माह तक) के बीच कुल 38 लाख 50 हजार 431 लीटर पानी का निर्यात किया है।
पानी की यह मात्रा केवल मिनरल वॉटर की नहीं है। इनमें प्राकृतिक जल भी शामिल है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री हरदीप पुरी के अनुसार, भारत ने बीते पांच साल में करीब 23 लाख 78 हजार 227 लीटर मिनरल वॉटर, जबकि 8 लाख 69 हजार 815 लीटर प्राकृतिक जल का निर्यात किया है। इसमें सबसे ज्यादा पानी का निर्यात चीन को किया गया है। हालांकि, चीन को विभिन्न तरह के पानी निर्यात किए गए, जिसमें सिर्फ मिनरल वॉटर से भारत को करीब 31 लाख रुपये की आय हुई।
आपको बता दें कि भारत का पानी निर्यात का क्षेत्र काफी बड़ा है। चीन के बाद भारत ने सबसे ज्यादा जिस देश को पानी निर्यात किया वह मालदीव है। इसके बाद तीसरे नंबर पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) है, जिसे विभिन्न तरह के पानी भारत की ओर से निर्यात किए गए है।
कोरोना महामारी के दौर में भी भारत पानी का निर्यात जरूरत के मुताबिक विभिन्न देशों को करता रहा। यह तब था जब कोरोना संक्रमण के खौफ से तमाम देशों ने अपने देश की सीमाएं पूरी तरह सील की हुई थीं। भारत ने अप्रैल 2020 से नवंबर 2020 के बीच विभिन्न देशों को पानी का निर्यात कर करीब 155 लाख 86 हजार रुपए की कमाई की।
अब तक आपने पढ़ा भारत के पानी निर्यात से जुड़े तथ्य और आंकड़े। अब हम आपको जो बताने जा रहे हैं वह देश को लेकर और भी सुखद और गर्व कराने वाला अहसास होगा। भारत वर्चुअल पानी के निर्यात क्षेत्र में सबसे आगे है। आपके मन में सवाल होगा कि यह वर्चुअल पानी का निर्यात कौन सी बला है? तो हम उसका भी समाधान किए देते हैं। दरअसल, वर्चुअल पानी के निर्यात से आशय उन फसलों से हैं, जिनकी पैदावार ज्यादा पानी में होती है। ऐसे ज्यादा पानी लेकर उगी फसलों को दूसरे देशों को बेचा जाता है। तब जो देश ये फसलें खरीदतें है, वे अपने यहां कम पानी वाली फसलें उगाते हैं। ऐसे में उनके यहां पानी की बचत होती है। वर्ष 2014-15 में भारत ने 37.2 लाख टन बासमती चावल विभिन्न देशों को निर्यात किया था। इसमें करीब 10 ट्रिलियन पानी खर्च हुआ था। इसका मतलब, यह पानी किसी को भले न दिखाई दिया हो, मगर यह भी उन देशों में अप्रत्यक्ष तौर पर निर्यात हुआ।