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कोरोना काल में साइबर क्राइम को लेकर भारतीय कितना हैं सतर्क, McAfee ने सर्वे जरिए जाना सच

साइबर सुरक्षा समूह McAfee ने दो जून को ‘2021 कंज्यूमर सिक्योरिटी माइंडसेट सर्वे’ कर भारतीयों की साइबर सुरक्षा के प्रति सतर्कता को जानने की कोशिश की है।

Jun 02, 2021 / 12:25 pm

Mohit Saxena

cyber crime

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नई दिल्ली। लॉकडाउन के समय लोगों का ज्यादातर समय अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप पर बीत रहा है। लोग ज्यादातर डिजिटल सेवाओं पर निर्भर हैं। फिल्मों से लेकर सामानों की डिलिवरी में आनलाइन सेवाओं का सहारा लिया जा रहा है। ऐसे में साइबर क्राइम की कई घटनाएं सामने आ रही हैं।
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कंज्यूमर सिक्योरिटी माइंडसेट सर्वे

इन मामलों को लेकर साइबर सुरक्षा समूह McAfee ने 2 जून को ‘2021 कंज्यूमर सिक्योरिटी माइंडसेट सर्वे’ जारी किया है। इसमें खुलासा किया गया कि भारतीय कैसे इन तेज, तकनीक-सक्षम परिवर्तनों के अनुकूल हो रहे हैं। इसके साथ वे डिजिटल में होने वालीं जालसाजी से कितने सतर्क हैं।
McAfee और कई अन्य साइबर सुरक्षा फर्मों ने अपराधियों को कोरोना वायरस से संबंधित साइबर हमले करते पाया है। इसमें काफी वृद्धि हुई है, जिसमें प्रति मिनट औसतन 648 नए थ्रेट्स भेजे जा रहे हैं।
डिजिटल उपकरणों को अधिक सुरक्षित किया

McAfee सर्वेक्षण के अनुसार, 88 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ताओं को लगता है कि COVID-19 की शुरुआत के बाद से उपकरणों, ऑनलाइन गतिविधियों से ज्यादा जुड़ गए हैं। 86 प्रतिशत ने अपने डिजिटल उपकरणों को अधिक सुरक्षित किया है।
परिवार को खतरे में डाल सकते हैं

साइबर सुरक्षा को लेकर सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीय अपनी साइबर सुरक्षा को अपने ढंग से तय करते हैं। 57 प्रतिशत इस बात को मानते हैं कि डिजिटल सुरक्षा में कमी के कारण वे खुद और अपने परिवार को खतरे में डाल सकते हैं। इस बीच तीन में दो भारतीय (68%) यह जांचने की कोशिश करते हैं कि किस नेटवर्क से वे जुड़े हुए हैं, वे सुरक्षित हैं की नहीं। इसके साथ आधे से अधिक (53%) जोखिम के प्रति अधिक संवेदनशील महसूस करते हैं जब कोई उनके घर आया हो और उनके इंटरनेट से जुड़ा हो।
सबसे अधिक संवेदनशील

वाई-फाई नेटवर्क (57%), किसी का होम कंप्यूटर (46%), स्मार्ट-होम असिस्टेंट (26%), स्मार्ट टेलीविज़न (28%), और गेमिंग सिस्टम (29%) साइबर खतरों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं। वहीं बच्चे दूरस्थ शिक्षा के सबसे बड़े उपयोगकर्ता हैं, आधे से अधिक (62%) का मानना है कि डिजिटल वेलनेस और सुरक्षा का एक अलग पाठ्यक्रम होना चाहिए और पूरे प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाया जाना चाहिए।
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स्मार्टफोन जैसे डिवाइस स्मार्टली खरीदें

स्मार्टफोन का उपयोग करते समय उसके सिक्यूरिटी फीचर के बारे में जान लें। अकसर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते वक्त लोग वे नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग भी करते हैं। स्मार्टफोन की सिक्यॉरिटी आवश्यक है। इसलिए समय-समय पर अपने फीचर्स को अपडेट करें।
सेक्योर वाई-फाई कनेक्शन

कोरोना काल इंटरनेट का उपयोग ज्यादा बढ़ गया है। लोग घरों से अपना काम कर रहे हैं। ऐसे में हाईस्पीड के लिए वाई-फाई का इस्तेमाल होता है। साइबर अटैकर के लिए वाई-फाई प्रमुख हथियार है। वाई-फाई के लिए अच्छी क्वॉलिटी के राउटर और यूनिक आईडी पासवर्ड की मदद से cyber intrusion यानी डिजिटल सेंधमारी को रोक सकते हैं।
सुरक्षा को लेकर पासवर्ड जरूरी

किसी भी डिवाइस की सुरक्षा को लेकर बहुत हद तक पासवर्ड जरूरी है। ऐसे में अगर कहीं डिफॉल्ट पासवर्ड आ जा है तो उसे हर हाल में बदल दिया जाता है। यह 8 कैरेक्टर का होना जरूरी। इसमें नंबर, अल्फाबेट और स्पेशल कैरेक्टर का कॉम्बिनेशन सिक्यॉर्ड रहता है।

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