नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक इस ग्रह का नाम K2-18b है। यह ग्रह पृथ्वी के द्रव्यमान से आठ गुना बड़ा है। यह इकलौता ऐसा ग्रह है जो सौर मंडल (सोलर सिस्टम) के बाहर एक स्टार (सितारे) की परिक्रमा कर रहा है।
इसरो का बड़ा खुलासा, यह थी चंद्रयान से संपर्क टूटने की असली वजह जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक इस ग्रह पर पानी भी मिला है और यहां पृथ्वी की ही तरह तापमान का पता चला है जिससे इस ग्रह पर जीवन की संभावना बलवती हो जाती है।
यह ग्रह ठंडे और बौने सितारे K2-18 की परिक्रमा कर रहा है, जो पृथ्वी से करीब 110 प्रकाश वर्ष दूर सिंह तारामंडल में मौजूद है। शोध के मुताबिक यह पहली ऐसी सफल खोज है जो किसी सुदूर ग्रह में वातावरण की मौजूदगी के बारे में बताती है, जहां पर पानी मौजूद है और वो भी द्रव्य के रूप (लिक्विड फॉर्म) में।
अब विक्रम लैंडर को ढूंढने के लिए इसरो ने अपनाया यह तरीका, किया जा रहा है ऐसा काम कि सुनकर आप भी… इस संबंध में ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के एंजेलोस सियारस कहते हैं कि पृथ्वी के अलावा जीवन की संभावना वाली किसी दूसरी दुनिया का पता चलना बेहद रोमांचक है।
उन्होंने आगे बताया कि K2-18b ‘पृथ्वी 2.0’ नहीं है, बल्कि इससे काफी भारी और अलग वातावरण रचना वाला ग्रह है। हालांकि यह ग्रह हमें इस मूलभूत सवाल के जवाब के नजदीक लेकर जाता है कि क्या वाकई पृथ्वी अनोखी है।
शोध के लिए इस टीम ने हब्बल स्पेस टेलीस्कोप से मिले 2016 और 2017 के ईएसए/एनएएसए डाटा का इस्तेमाल किया और एक ओपेन-सोर्स एल्गोरिद्म बनाई ताकि K2-18b के वातावरण के जरिये सितारे की रोशनी का विश्लेषण किया जा सके।
चंद्रयान 2: विक्रम लैंडर पर साफ हुआ पूरा मामला, दो तस्वीरें एक साथ अब…सामने आई ऐसी सच्चाई कि… शोधकर्ताओं के मुताबिक इन नतीजों से जल वाष्प के आण्विक तंत्र का खुलासा हुआ और इससे वहां के वातावरण में हाइड्रोजन और हीलियम की मौजूदगी का भी पता चला।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इन तत्वों की मौजूदगी से यह माना जा सकता है कि इस ग्रह पर नाइट्रोजन और मीथेन भी मौजूद होंगी, हालांकि मौजूदा निरीक्षणों से इनको सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।
शोधकर्ताओं का कहना है कि वहां बादलों की मौजूदगी और वातावरण में पानी की मात्रा के बारे में अनुमान लगाने के लिए आगे की शोध करना जरूरी है।