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2000 किलोमीटर से भी कम का होगा रेल नेटवर्क
यूएई से प्रकाशित अखबार खलीज टाइम्स की माने तो यूएई, फुजैराह बंदरगाह से मुंबई के बीच रेलनेटवर्क विकसित करेगा। बता दें कि यह पूरा नेटवर लगभग 2000 किलोमीटर से भी कम का होगा। इस प्रोजेक्ट को लेकर कई पहलुओं पर चर्चा हो रही है। सबसे पहले इस प्रोजोक्ट की व्यवहार्यता का परीक्षण किया जाएगा। इसमें देखा जाएगा की कि क्या ऐसा कोई रेलनेटवर्क बनाया जा सकता है। संयुक्त अरब अमीरात की एक अखबार की माने तो अबु धाबी में यूएई-इंडिया कॉनक्लेव के दौरान नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ कंसल्टेंट अब्दुल्ला अलशेही ने इसका खुलासा किया है।
कई दो देशों को होगा इसका फायदा
बता दें कि अलशेही कंसल्टेंट फर्म नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड के संस्थापक हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से भारत और यूएई को ही लाभ नहीं पहुंचेगा बल्कि कई अन्य कई देशों को भी फायदा होगा। पानी के अंदर बनने वाले इस रेल लाइन से सिर्फ यात्रियों को ही फायदा नहीं पहुंचेगा, बल्कि इससे तेल और अन्य कई तरह के आयात निर्यात में भी मदद मिलेगी। वहीं, इस रेलनेटवर्क से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा।
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रिपोर्ट में बताया गया कि रेल नेटवर्क से दोनों देशों के बीच वस्तुओं का आयात-निर्यात भी बढ़ाया जाएगा। यूएई पाइपलाइन के जरिये भारत के तेल की आपूर्ति करेगा।बता दें कि पानी के अंदर रेल नेटवर्क का यह कोई पहला मामला नहीं है। इस समय दुनिया भर के कई देश अंडरवॉटर रेल नेटवर्क पर काम कर रहे हैं। इनमें चीन,रूस, कनाडा और अमरीका का नाम शामिल है।