उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है कि राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए ‘शातिर अभियान’ चलाया गया है। हलफनामा में कहा गया कि अदालत को मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच का निर्देश देना चाहिए। हलफनामे में कहा गया है कि SC को मामले की सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए।
हाथरस कांड सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच चुका है। पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के सर्वोच्च अदालत में एक जनहित याचिका लगाई गई है, जिस पर कोर्ट सुनवाई करेगा। 76 वर्षीय पूर्व न्यायिक अधिकारी चंद्रभान सिंह की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि पीड़ित व उसके परिजनों को अंतिम संस्कार के अधिकार से वंचित किया गया।
ये कहा याचिकाकर्ता ने
याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि मौलिक अधिकार के दायरे में गरिमा के साथ मरने का अधिकार भी शामिल है। इस मामले में यूपी के एडीसी से लेकर डीएम व एसपी तक की भूमिका की जांच की जरूरत है।
ये कहा यूपी सरकार ने
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है कि राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए ‘शातिर अभियान’ चलाया गया है। यूपी सरकार ने कहा है कि अदालत को मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच का निर्देश देना चाहिए।
इसके अलावा तमिलनाडु के एक वकील सीआर जयासुकिन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि हाथरस कांड के चलते उत्तर प्रदेश में मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है, ऐसे में वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। आपको बता दें कि चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
…तो रात में भड़क जाती हिंसा यूपी सरकार ने अब तक हुई जांच का विस्तृत ब्योरा सुप्रीम कोर्ट को सौंपा। यूपी सरकार ने दावा किया कि कुछ निहित स्वार्थ वाली ताकतें निष्पक्ष न्याय के रास्ते में रोड़ा अटका रही हैं।
योगी सरकार ने कहा है कि हाथरस पीड़िता की रात में अंत्येष्टि न करते तो सुबह भड़क जाती भारी हिंसा।