मालूम हो कि अभी तक वाहनों के 15 साल पूरे हो जाने पर उन्हें स्क्रैप यानि कबाड़ मान लिया जाता था। इसलिए ऐसी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन अपने आप रद्द हो जाता था और ये वाहन सड़क पर नहीं दौड़ सकते थे। अगर बिना रजिस्ट्रेशन इन गाड़ियों को चलते हुए पाया जाता था तो जुर्माना लगाया जाता था। हालांकि नई पॉलिसी के आने पर वाहन मालिकों को गाड़ी स्क्रैप करने के बदले इन्हें एक्सचेज कर नए वाहन खरीदने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इससे कस्टमर और सरकार दोनों को फायदा होगा। पुराने कारों को स्क्रैप करने से ऑटोमोबाईल सेक्टर वेस्ट से निकाले गए स्टील, एल्मुनियम, प्लास्टिक जैसे उत्पादों को रिसाइकल करके इसका दोबारा प्रयोग कर सकेंगे। इससे वाहनों को तैयार करने में आने वला खर्च कम होगा। वहीं स्क्रैप पॉलिसी से पुरानी गाड़ी रखने वालों को भी नुकसान नहीं होगा। इसके बदले उन्हें नई कार खरीदने पर अच्छा डिस्काउंट मिलेगा।
आमतौर पर नई गाड़ी खरीदने और उसके रजिस्ट्रेशन में काफी अमाउंट खर्च होता है। मगर नई पॉलिसी से ग्राहक का ये खर्च बचेगा। क्योंकि वे पुरानी कार को बेचने के वक्त मिलने वाले प्रमाण पत्र को दिखाकर रजिस्ट्रेन फीस में छूट पा सकते हैं। नए वाहन के सडक़ों पर आने के बाद प्रदूषण में भी करीब 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना होगी। हालांकि जो लोग नए वाहन अभी नहीं खरीद सकते हैं वे फिटनेस सर्टिफिकेट के जरिए गाड़ी को 5 अतिरिक्त साल के लिए यूज कर सकते हैं।