Former Education Secretary clears many questions on NEET UG and JEE Main 2020
नई दिल्ली। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ( National Testing Agency ) द्वारा नीट-जेईई जैसी परीक्षाएं ( NEET UG and JEE Main 2020 ) आयोजित किए जाने को लेकर शिक्षा विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के पूर्व सचिव ( Education Secretary ) और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल स्वरूप ( Anil Swarup ) का कहना है कि परीक्षा आयोजित ना करना कोई विकल्प नहीं है। छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एग्जाम होने चाहिए।
केंद्र सरकार ने किसी की भी ना सुनी, NTA ने कर दी JEE Main और NEET 2020 की तारीखों की घोषणा देश के मशहूर शिक्षाविद अनिल स्वरूप ने कहा कि स्पष्ट रूप से कोरोना एक खतरनाक संकट है। ये संकट इंजीनियरिंग कॉलेजों (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों (नीट) के लिए प्रवेश परीक्षाओं से जुड़ा है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि वो पहले की तरह फिजिकल एग्जाम के साथ इसे आयोजित कर रहे हैं। नतीजतन कुछ प्रदेशों और लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
स्वरूप ने कहा, “जेईई-नीट परीक्षा नहीं कराना स्पष्ट रूप से कोई विकल्प नहीं है क्योंकि इससे पूरा शैक्षिक सत्र ( Academic Session ) बाधित होगा। ऐसे में परीक्षा ही आयोजित करानी चाहिए।” फिजिकल की जगह ऑनलाइन एग्जाम का विकल्प चुने जाने के सवाल पर अनिल स्वरूप ने कहा, “ये एक व्यवहारिक विकल्प बन सकता था। हालांकि, इस माध्यम से परीक्षा लेने के लिए प्रश्नों के एक बड़े सेट की जरूरत होती है, जो अब आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। अगर इसकी तैयारी कुछ महीने पहले शुरू की जाती तो, शायद कुछ डाटा बैंक तैयार किए जा सकते।”
उन्होंने आगे बताया, “हालांकि, अकेले प्रश्न बैंक ही इस समस्या का समाधान नहीं है। इसके साथ ही ऐसे विश्वसनीय केंद्रों की भी जरूरत होगी, जहां सैट के मामले में इस तरह के टेस्ट आयोजित किए जा सकते हैं। हाई प्रोफाइल वाली प्रवेश परीक्षाओं की संवेदनशीलता और महत्व को ध्यान में रखते हुए, कम वक्त में ऐसे केंद्रों की पहचान करना एक मुश्किल काम होगा।”
NEET UG and JEE Main 2020: क्या मोदी सरकार देगी कोरोना ना होने की गारंटी? स्वरूप ने कहा, “कोरोना महामारी ने एक बड़ी चुनौती पैदा की है। इसे जेईई-नीट के दृष्टिकोण से फिर से देखने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अगले वर्ष से हम प्रवेश परीक्षा जैसे सैट के संदर्भ में क्यों नहीं सोच सकते हैं। ये शायद कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की भूमिका को भी कम करेगा।”
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने भी जेईई और नीट करवाए जाने को अनिवार्य बताया है। एनटीए के मुताबिक एक एकेडेमिक कैलेंडर वर्ष को बचाने के लिए और कई उम्मीदवारों के एक वर्ष को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षाओं का संचालन करना जरूरी है। अगर इसे जीरो सेशन मानते हैं, तो हमारा सिस्टम एक सेशन में दो साल के उम्मीदवारों को कैसे समायोजित कर पाएगा।