फोर्डा के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वामी रामदेव की टिप्पणियों के विरोध में हमारा प्रदर्शन मंगलवार सुबह शुरू हुआ। उन्होंने कहा रामदेव ऐलोपैथी के बारे में बोलने तक की योग्यता नहीं रखते हैं। उनके बयान से डॉक्टरों का मनोबल कम हुआ है जो कोरोना महामारी से हर दिन लड़ रहे हैं।
फोर्डा के अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शन का आह्वान 29 मई को किया गया था। हालांकि उन्होंने ये आश्वासन भी दिया कि आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होने दी जाएंगी। ये फोर्डा की मांग
हमारी मांग है कि वह बिना शर्त सार्वजनिक रूप से माफी मांगे अन्यथा महामारी रोग अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
विरोध स्वरूप कई डॉक्टरों ने अपने बाजू पर काली पट्टी बांधी है। अन्य शहरों के डॉक्टर भी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान कुछ डॉक्टरों ने विरोध संदेश लिखे प्लेकार्ड ले रखे थे, जबकि अन्य ने ऐसे पीपीई किट पहने थे जिसके पीछे ‘काला दिवस’ प्रदर्शन लिखा था।
फोर्डा ने रामदेव पर आरोप लगाया है कि उनके बयान ने लोगों में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट पैदा कर दी है। लोग वैक्सीन लगवाने में हिचकिचा रहे हैं।
दरअसल योग गुरु बाबा रामदेव एक वायरल वीडियो में यह कह रहे है कि लाखों लोग COVID-19 के इलाज के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से मर चुके हैं”। उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी पत्र लिखकर रामदेव के बयान को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए उनसे यह बयान वापस लेने को कहा था।