भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र यानी एनसीडीसी की ओर से कोरेाना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर पर एक अध्ययन किया गया। इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए। यह रिपोर्ट इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुई है।
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इस अध्ययन के बाद दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहली लहर की तुलना में कुछ अलग थी। दूसरी लहर में 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों को छोडक़र सभी आयु समूह वाले लोगों में उच्च मृत्यु दर दर्ज की गई थी। वहीं, दूसरी लहर में संक्रमित लोगों ने सांस लेने में तकलीफ होने की परेशानी बताई थी। इसके अलावा, इस लहर मेंं संक्रमित लोगों को पूरक ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी।
देश में पिछले साल सितंबर से नए केस की संख्या कम होने लगी थी। वहीं, इस वर्ष मार्च से नए मामलों में एक बार फिर वृद्धि देखी गई, जो रिकॉर्डतोड़ बढ़ती गई। रिपोर्ट में बताया गया कि पहली और दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती किए गए संक्रमित मरीजों की जनसांख्यिकीय और अन्य आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया गया। इसके मुताबिक, परिणाम देशभर के 41 अस्पतालों के इलेक्ट्रॉनिक डेटा पोर्टल में डाला गया। इसमें बताया गया कि 1 सितंबर 2020 और 31 जनवरी 2021 के बीच और 1 फरवरी से 11 मई 2021 के बीच नामांकित मरीजों को इस अध्ययन में शामिल किया गया है।
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रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के अनुसार, 11 मई 2021 तक 18 हजार 961 व्यक्तियों को रजिस्ट्री में शामिल किया गया था। इनमें 12 हजार 59 पहली लहर में और 6 हजार 903 दूसरी लहर के रोगी शामिल थे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कोरोना महामारी की दोनों लहरों में करीब लगभग 70 प्रतिशत भर्ती मरीज 40 साल से अधिक उम्र के थे। पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर लहर में पुरुषों का अनुपात थोड़ा कम था।
विशेषज्ञों ने अध्ययन में यह भी पाया कि महामारी की दोनों लहरों में सामान्य लक्षण संक्रमित व्यक्ति बुखार से पीडि़त था। इसके अलावा, दूसरी लहर में सांस लेने मे परेशानी ज्यादा थी। इसके अलावा पूरक ऑक्सीजन और यांत्रिक वेंटिलेशन की जरूरत भी थी।