scriptMobile in India: आज के ही दिन 1995 में पहली बार बजी थी मोबाइल की घंटी, जानें किसके बीच हुई बातचीत | Firs Mobile Call in India in 31 July 1995 Jyoti Basu and Sukhram talk to Each Other | Patrika News
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Mobile in India: आज के ही दिन 1995 में पहली बार बजी थी मोबाइल की घंटी, जानें किसके बीच हुई बातचीत

31 July 1995 को देश में पहली बार लगाया गया था Mobile Call
Kolkata और New Delhi के बीच हुई पहली बार मोबाइल पर बात
Outgoing Call के साथ Incoming Call के लिए भी चुकाना होते थे दाम

Jul 31, 2020 / 04:07 pm

धीरज शर्मा

First Mobile Call in India

31 जुलाई 1995 को देश में पहली बार बजी थी मोबाइल की घंटी

नई दिल्ली। भारतीय इतिहास में 31 जुलाई की दिन काफी खास है। दरअसल इसी दिन देश में पहली बार मोबाइल की घंटी ( Mobile in India ) बजी थी। यानी भारत में मोबाइल पर पहली ( Mobile Call ) बार बात 31 जुलाई को ही हुई थी। मौजूदा समय में हम बिना मोबाइल के जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। हर किसी के लिए मोबाइल बड़ी जरूरत बन चुका है। हमारी दिन चर्या में मोबाइल का अहम रोल बन गया है। भले ही हम मोबाइल से परेशान होतो हों, लेकिन इसके बाद भी इसे नकार नहीं सकते।
खास तौर पर वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संकट ( coronavirus ) में भी मोबाइल ने बड़ा रोल निभाया है। आरोग्य सेतु एप ( Aryoga Setu App ) के जरिए हम अपने आस-पास इस बीमारी से संक्रमित लोगों का पता आसानी से लगा पा रहे हैं। ये तो हुई लेटेस्ट मोबाइल की बात। लेकिन जब देश में पहली बार मोबाइल आया और इस घंटी बजी तो जानते हैं किन दो लोगों के बीच बातचीत हुई। आईए हम आपको बताते हैं।
25 साल पहले 31 जुलाई के ही दिन देश में मोबाइल की पहली घंटी बजी थी। वर्ष 1995 में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ( Jyoti Basu) ने पहली मोबाइल कॉल उस समय तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम ( Sukh Ram ) को की थी। इस फोन कॉल के साथ ही भारत में मोबाइल क्रांति का आगाज हुआ, जो आगे चलकर हर किसी की जरूरत बन गया।
दिल्ली और कोलकाता के बीच हुई बात
प. बंगाल के सीएम ज्योति बसु ने पहला कॉल कोलकाता से लगाया। उन्होंने नई दिल्ली स्थित संचार भवन में बैठे केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम से पहली बात की।
उस दौरान ऑपरेटर कंपनी मोदी टेल्स्ट्रा थी और इसकी सर्विस को मोबाइल नेट ( Mobile net) के नाम से जाना जाता था। ये उन आठ कंपनियों में शुमार थी, जिन्हें सेल्युलर सर्विस मुहैया करवाने के लिए लाइसेंस दिया गया था।
इनकमिंग के भी लगते थे पैसे
1995 में जब मोबाइल ने भारत में दस्तक दी, उस वक्त ये गिने चुने लोगों के हाथ में ही नजर आता था। खास बात यह है कि इस दौरान आउटगोइंग कॉल के साथ इनकमिंग कॉल के लिए कीमत चुकाना होती है। यानी फोन सुनने के भी पैसे लगते थे। आउटगोइंग कॉल के लिए जहां 16 रुपए चुकाना होते थे, वहीं इनकमिंग के 12.5 रुपए देना होते थे। जिनमें बाद में बदलाव आता गया। हालांकि शुरुआत में मैसेज फ्री थे, बाद में इन पर भी चार्ज लगा दिया गया।
सिर्फ 5 साल में 50 लाख मोबाइल सब्सक्राइबर
1995 में मोबाइल के आते ही इसके सब्सक्राइबर तेजी से बढ़ने लगे। महज पांच वर्षों में देश में 50 लाख मोबाइल सब्सक्राइबर हो गए थे। वहीं वर्ष 2015 तक देश में 1 बिलियन से भी ज्यादा मोबाइल यूजर हो गए और इसके बाद तो ये आंकड़ा और भी कई गुना तेजी से बढ़ने लगा।

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