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Farmer Protest: गाजीपुर बॉर्डर पर ‘रोटेशन पॉलिसी’ का असर, बड़े चेहरे न होने पर भी जुट रहे किसान

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए किसानोंको तीन महीने हो चुके हैं
किसानों की संख्या में कमी नहीं आने की वजह है ‘रोटेशन नीति’ का असर नजर आया

Mar 01, 2021 / 10:33 pm

Mohit sharma

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नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों ( New Farm Laws ) के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए किसानों को तीन महीने हो चुके हैं, लेकिन यहां किसानों की आमद लगातार जारी है। उनकी संख्या में कमी नहीं आने की वजह है ‘रोटेशन नीति’ जिसका असर सोमवार को नजर आया। गाजीपुर बॉर्डर ( Ghazipur Border ) पर सोमवार को बिना किसी प्रमुख चहरे के बावजूद धरना दे रहे किसानों की संख्या ठीक-ठाक रही, हालांकि बीते कुछ दिनों में संख्या में गिरावट आ रही थी, जिसके मद्देनजर किसान नेताओं ने ‘रोटेशन नीति’ बनाकर हर गांव से किसानों का बारी-बारी से धरना-स्थल पर आना सुनिश्चित किया।

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सोमवार को उत्तराखंड के रुद्रपुर में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें गाजीपुर बॉर्डर से सभी प्रमुख किसान नेता इस महापंचायत में शामिल होने चले गए। ऐसे में कोई बड़ा चेहरा मौजूद न रहने के बावजूद धरना-स्थल पर किसानों की संख्या सुबह से ही बरकरार रही।

गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने आईएएनएस को बताया कि तय किया गया है कि जिन जगहों पर महापंचायत हो चुकी रहेंगी, उन जगहों के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में शामिल होंगे। रुद्रपुर में हुई महापंचायत में भी आज कहा गया कि आप सभी बॉर्डर पर आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। रोटेशन नीति पर भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि राकेश टिकैत बॉर्डर पर रहते हैं तो उनसे मिलने के लिए कई प्रांतों के लोग आया करते हैं, तब संख्या बढ़ जाती है। किसान आंदोलन लंबा चलेगा। जिस तरह समुद्र की लहरें ऊपर-नीचे होती रहती हैं, वैसा ही स्वभाव आंदोलन का भी है।

उन्होंने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारियों की संख्या बढ़ना, फिर कम होना खेती के सीजन की वजह से हो रहा है। इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना की कटाई और बुवाई चल रही है, कहीं सरसों की बुवाई चल रही है। उत्तराखंड चले जाएं तो वहां किसी और फसल की खेती चल रही है। जादौन ने कहा कि रोटेशन प्रणाली यहीं से शुरू हुई, हम नेताओं ने तय किया कि हम लोगों को आंदोलन के साथ खेती भी करनी है, आखिर देश की जनता का पेट भरने के लिए अनाज उपजाने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। इसलिए खेती करते रहें और जब भी फुर्सत मिले, धरना-स्थल पर पहुंच जाएं। इससे खेती भी होती रहेगी और आंदोलन भी चलता रहेगा।

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उन्होंने बताया कि इस रणनीति के तहत विभिन्न प्रदेशों के विभिन्न जिलों के किसान यूनियन के पदाधिकारी बारी-बारी से आते रहते हैं और उनसे लगातार संपर्क बना रहता है। गाजीपुर बॉर्डर से पदाधिकारियों को सूचना भेजी जाती है, जिसके बाद किसान अपने क्षेत्र से गाजीपुर बॉर्डर की तरफ कूच करते हैं। किसान नेता ने बताया कि हर गांव से किसानों का जत्था गाजीपुर बॉर्डर पर आता है और कुछ दिन रुकने के बाद चला जाता है, फिर उनकी जगह दूसरे गांव के किसानों का दल यहां पहुंच जाता है। इस तरह धरना-स्थल पर किसानों की अच्छी-खासी संख्या लगातार बनी रहती है।

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