बरनाला के गांव दिलवान के किसान दर्शन सिंह ढिल्लों व उनकी पत्नी परमजीत कौर ढिल्लों के मन में किसान आंदोलन को समर्थन देने की ऐसी हूक उठी कि दोनों दिलवान से बाइक पर दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर आ पहुंचे।
ढिल्लों दंपती उम्र के पांच दशक पार कर चुके हैं। बढ़ती उम्र भी उनके किसान भाईयों को समर्थन की चाह के आड़े नहीं आई। यही नहीं इस कपल का कहना है कि जब तक किसान भाईयों की मांग पूरी नहीं हो जाती वे भी अपने घर नहीं लौटेंगे।
दर्शन सिंह ढिल्लों कहते हैं कि किसानों का दर्द सिर्फ किसान ही समझ सकता है। अपने भाईयों का हौसला बढ़ाने के लिए हम अपना घर, खेल खलिहान सब छोड़कर आ गए हैं। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार कृषि कानून वापस ले।
आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए यह कपल बुधवार अल सुबह अपनी बाइक से निकला। दोपहर करीब ढाई बजे दंपती खरावड़ पहुंचा। यहां शिविर में कुछ खा-पीकर खुद को फ्रेश किया और फिर आगे बढ़ गए।
किसानों के लिए घर छोड़कर निकले ढिल्लों कपल के दोनों बेटे कनाडा में ही रहते हैं। कपल का कहना है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद भी बच्चों के देश में काम बेहतर अवसर नहीं मिला। यही वजह है कि दोनों ही बेटे कनाडा चले गए और वहां काम कर रहे हैं। ढिल्लों दंपती बरनाल में अकेले रहकर खेतीबाड़ी करते हैं।
कृषि कानून का विरोध कर रहे ढिल्लों कपल का कहना है कि सरकार का नया कानून किसानों को बर्बाद कर देगा। तीन नए काले कृषि कानून अन्नदाता से उसका सब छीन लेंगे। ये कानून हमसें खेती का ही नहीं, अपनी जमीन का अधिकार तक छीन लेंगे। किसान सिर्फ पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनकर रह जाएगा।