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बसों, वैन, ट्रैक्टरों में भरकर पहुंचेंगे टिकरी बॉर्डर
किसान भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) एकता-उग्रहन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलन का कहना है कि पुरुष अभी खेतों में काम को लेकर बिजी है इसलिए 60 प्रतिशत महिलाएं ही आंदोलन में हिस्सा ले रही है। पुरुषों की अनुस्थित में महिलाओं को यह जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि ये सभी बठिंडा-डाबवली, खनौरी-जींद और सर्दुलगढ़-फतेहाबाद बॉर्डरों से बसों, वैन और ट्रैक्टरों के जरिए टिकरी बॉर्डर पहुंचेंगे। अपनी मांगों को मनवाने के लिए आखिरी सांस तक लेंगें। एक रिपोर्ट के अनुसार, खनौरी-जींद सीमा से चलने वाले जत्थे की अगुवाई खुद संगठन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्रहन और महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलन करने जा रहे है।
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आंदोलन को कमजोर करने की साजिश
किसान संघों ने आरोप लगाया कि आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार कोरोना वायरस संक्रमण का इस्तेमाल कर रही है। संयुक्त किसान कहना है कि प्रस्तावित संसद मार्च की तारीख अभी तय नहीं की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के विरोध को खत्म करने के लिए कोरोना का बहाना बनाया जा रहा है। मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि कोरोनो वायरस पर सरकार का पाखंड उजागर हो गया है। मंत्री और नेता चुनावी रैलियां कर रहे हैं। ऐसे में दूसरों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है।
चुप बैठकर खुद का मजाक बनवा रही है सरकार
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला ने 15 अप्रैल को प्रधानमंत्री को किसानों के हित में लिखे पत्र को नरेश टिकैत ने सराहया है। टिकैत ने कहा कि ईश्वर करे इस पत्र का सकारात्मक नतीजा निकले। अगर सरकार की कोई मजबूरी है तो हमें भी बताए। हो सकता है समस्या का समाधान हमारे पास मिल जाए। इसके साथ ही उन्होंने कि चुप बैठ कर सरकार अपना मजाक बनवा रही है। दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान काफी लंबे समय अपना घर छोड़कर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे है। कोरोना के कहर को देते हुए हुए किसान नेताओं से अपील की जा रही है कि मौजूदा हालात को देखते हुए अपने आंदोलन की रूपरेखा में बदलाव करे।