मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के मुताबिक, ‘सिद्धलिंग कर्नाटक में सबसे पूजनीय लिंगायत संतों में से एक थे। उन्हें उनकी भाषण-कला के लिए जाना जाता था। उन्होंने समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के सिद्धारमैया सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए वीरशैव-लिंगायत के संतों की आलोचना की थी। संत सिद्धलिंग एक महान लेखक और शिक्षा व साहित्य के संरक्षक थे। ‘संत के हजारों भक्त हैं, जो विविध सामाजिक व धार्मिक मुद्दों के प्रति उनके प्रगतिशील व स्पष्टवादी दृष्टिकोण का आदर करते हैं।’
‘स्वामीजी अंधविश्वास के खिलाफ जनांदोलन समेत पर्यावरण और अन्य मसलों को लेकर चलाए जाने वाले आंदोलनों में सक्रिय रहते थे। संत ने 2006-07 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान सिद्धलिंग स्वामी से मिली सलाह को याद किया।