नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ( Jammu Kashmir ) के परिसीमन ( delimitation ) के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए चुनाव आयोग ( Election Commission ) की बैठक जारी है। दरअसल घाटी में पिछले एक साल से चुनाव लंबित हैं। यहां फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है। आर्टिकल 370 ( Article 370 ) हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है।
यही वजह है कि चुनाव आयोग अब यहां जल्द चुनाव कराना चाहती है। हालांकि जबतक विधानसभा सीटों का परिसीमन नहीं हो जाता चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती है। दरअसल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में अभी कुछ और महीनों का वक्त लग सकता है।
घाटी में जल्द से जल्द चुनाव करवाने के लिए अब चुनाव आयोग ने कमर कस ली है। इसकी वजह है कि मंगलवार को चुनाव आयोग ने विधानसभा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए बैठक की।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन ऐक्ट के तहत जरूरी परिसीमन आपको बता दें कि परिसीमन की प्रक्रिया में करीब 3 से 4 महीने का वक्त लग सकता है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन ऐक्ट, 2019 के मुताबिक सूबे में विधानसभा सीटों का परिसीमन जरूरी है।
नए परिसीमन में मिलेगा आरक्षण केंद्र शासित प्रदेश बनने वाले जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन के तहत अब विधानसभा की सीटों में एससी और एसटी को आरक्षण भी मिल सकेगा। हालांकि अब सीटों का आंकड़ा 111 की बजाय 107 करने की योजना है।
अब तक इनमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए खाली रखी जाती थीं और अब भी यह सीटें खाली छोड़ी जाएंगी। यानी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए 83 विधानसभा सीटों पर चुनाव होगा।