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जम्मू-कश्मीर के इलाकों में ड्रोन का उपयोग
बीते कुछ वर्षों में पाकिस्तान से सटी सीमाएं यानी पंजाब और जम्मू-कश्मीर के इलाकों में ड्रोन का उपयोग देखा गया है। इनका उपयोग हथियार, गोला-बारूद और ड्रग्स की तस्करी तक के लिए होता रहा है। मगर एक एयरबेस पर ड्रोन से हमला करा जाना साफ संकेत देता है कि ड्रोन के सटीक इस्तेमाल की क्षमताएं बढ़ गई हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर उड़ते ड्रोन
बीते कुछ सालों में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर ड्रोन को उड़ान भरते देखा गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान जब भी किसी ड्रोन जैसे उपकरण को देखते हैं तो सभी संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को उसके बारे में अलर्ट करते हैं। ये सुरक्षा एजेंसियां आपसी सामंजस्य से पता लगाने की कोशिश करती है कि ये ड्रोन थे या कुछ और।
ड्रोन को मार गिराया गया
बीते साल जून में बीएसएफ ने सीमा पार पाकिस्तान से एक ड्रोन को कठुआ में मार गिराया था। इस ड्रोन को मार गिराए जाने पर इससे एक सेमी-ऑटोमेटिक कार्बाइन, गोला-बारूद और ग्रेनेड की बरामदगी हुई थी। इस ड्रोन का वजन करीब 18 किलो था और यह 5-6 किलोग्राम का वजन लेकर उड़ान भर सकता था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार इस ड्रोन में ज्यादातर पुर्जे चीन में निर्मित थे।
बीते साल सितंबर में लोकसभा में ड्रोन हमले के खतरों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि देश में ड्रोन के खतरे का सामना करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। बीते वर्ष मार्च में इस विषय पर एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि उसने अहम सुरक्षा ठिकानों पर ड्रोन हमलों को रोकने के लिए एक मानक प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है।
ड्रोन का एक हथियार के तौर पर उपयोग होगा भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन देखे जाते रहे हैं इससे यह अंदाज़ा लगाया जाना मुश्किल नहीं था कि वो दिन दूर नहीं जब ड्रोन को एक हथियार के तौर पर उपयोग किया जाएगा। जम्मू हमले के बाद से यह चर्चा हो रही है कि क्या भारत इस तरह के हमलों से निपटने को लेकर सक्षम है।