उच्चन न्यायालय ने केजरीवाल सरकार के निजी अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू ( ICU ) बेड्स रिजर्व वाले फैसले पर रोक लगा दी है। आपको बता दें कि बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए हाल में केजरीवाल सरकार ने आदेश दिया था कि दिल्ली के 33 प्राइवेट हॉस्पिटल में 80 फीसदी आईसीयू बेड्स कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित करने होंगे। मामले पर अगली सुनावाई तक के लिए हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल सरकार को उस फैसले पर कोर्ट ने रोक लगा दी है जिसमें राजधानी के निजी अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड्स कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखने की बात कही गई थी।
हालांकि सरकार के इस फैसले को लेकर राजधानी के तमाम निजी अस्पताल नाराज भी हो गए थे। यही वजह है कि एसोसिएश ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स के महानिदेश डॉक्टर गिरधर ज्ञानी का कहना था कि कम ही रोगियों को आईसीयू की जरूरत होती है।
ऐसे में भले ही दिल्ली में रोजाना करीब 4 हजार केस मिल रहे हैं, लेकिन उनमें से गंभीर रूप से बीमार एक या दो फीसदी लोग ही हैं। यही वजह है कि हॉस्पिटल्स के 80 प्रतिशत बेड्स कोविड मरीजों के लिए आरक्षित करने से बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।
गैर कोरोना मरीजों के लिए मुश्किल
यही नहीं डॉक्टर ज्ञानी के मुताबिक सबसे ज्यादा परेशानी उन मरीजों के लिए बढ़ जाएगी, जिन्हें कोरोना वायरस नहीं है लेकिन वे गंभीर रूप से किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हैं और उन्हें आईसीयू की जरूरत है। ज्यादातर बेड्स रिजर्व होने की वजह से उनकी परेशानी बढ़ जाएगी।
डॉक्टर की मानें तो आपतकाल में लाए हुए मरीजों को तुरंत आईसीयू की जरूरत होती है, लेकिन सरकार के फैसले की वजह से मुश्किलें बढ़ जाएंगी। एसोसिएशन ने केजरीवाल सरकार से इस फैसले को वापस लेने की अपील भी की, लेकिन मांग नहीं माने जाने पर एसोसिएशन ने कोर्ट का रुख किया। अब कोर्ट ने सरकार के फैसले पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।
राजधानी में ढाई लाख तक पहुंचा आंकड़ा
राजधानी दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2548 ने मामले सामने आए हैं। जबकि इस घातक वायरस के चलते पिछले 24 घंटे में 32 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। दिल्ली में अब तक कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 2 लाख 49 हजार 259 तक पहुंच गई है।