बीआरओ से मिली जानकारी के अनुसार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जौलजीबी -मुनस्यारी सड़क पर जौनालीगाड़ नाले में बने 70 मीटर स्पान के मोटर पुल का वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा तीन अन्य पुलों का भी उद्घाटन इस मौके पर किया जाएगा।
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क्या डेल्टा प्लस पर काबू पाने के लिए बदलनी पड़ेगी वैक्सीन की संरचना? जानिए विशेषज्ञों के सुझाव इसलिए खास हैं ये पुल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ये पुल चीन सीमा तक सेना की पहुंच आसान करेंगे। यही नहीं सीमांत के लोगों को भी आवागमन में सुविधा मिलेगी। इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में ये पुल अहम भूमिका निभा सकते हैं।
6.5 करोड़ की लागत से बना जौलजीबी-मुनस्यारी पुल
बीआरओ के हीरक परियोजना के चीफ इंजीनियर एमएनवी प्रसाद के मुताबिक जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर जौनालीगाड़ में 6.5 करोड़ की लागत से 70 मीटर लंबे स्पान पुल का निर्माण किया गया है।
तवाघाट-घटियाबगड़ मार्ग पर जुंतीगाड़ में 140 फीट ट्रिपल सिंगल रीइंसफोर्स्ड बैली ब्रिज, जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर किरकुटिया नाला पर 180 फीट डबल-डबल रीइंसफोर्स्ड बैल ब्रिज और मुनस्यारी-बोगडियार-मिलम मोटर मार्ग पर लास्पा नाले पर 140 फीट डबल-डबल रीइंसफोर्स्ड बैली ब्रिज का निर्माण किया गया है।
ऐसे सीआओं को कवर करेंगे ये पुल
रक्षामंत्री जिन पुलों का उद्घाटन करने वाले हैं वे सभी पुल उत्त्तर पश्चिम सीमा पर अति महत्वपूर्ण पुल हैं। लास्पा नाले में बना बेली ब्रिज उच्च हिमालयी क्षेत्र में है।
जबकि जौलजीबी-मुनस्यारी-मिलम और तवाघाट-घट्टाबगड़ सड़कें सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन पुलों के निर्माण से चीन सीमा तक भारत की पहुंच और अधिक मजबूत होगी। प्रवास पर जाने वाले धारचूला और मुनस्यारी के स्थानीय नागरिकों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी और पर्यटन गतिविधियों भी बढ़ेंगी।
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लद्दाख को विकास के नए रास्तों की जरूरतबता दें कि चीन से नरम-गरम रिश्तों के बीच रक्षा मंत्री लद्दाख के तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को लेह पहुंचे। यहां उन्होंने अशोक चक्र विजेता नायब सूबेदार (मानद-सेवानिवृत्त) छेरिंग म्यूटुप और महावीर चक्र विजेता कर्नल सोनम वांगचुक समेत 300 पूर्व सैनिकों के साथ बातचीत की। चीन से तनातनी के बीच रक्षा मंत्री ने कहा- जमीनी हकीकत का आकलन करने के साथ-साथ शत्रुतापूर्ण माहौल में वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा करने वाले सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए क्षेत्र में विभिन्न प्रमुख संरचनाओं और ऊंचाई वाले ठिकानों का दौरा किया जाएगा।
फरवरी में एक समझौते के तहत भारतीय और चीनी सेनाओं द्वारा पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों, टैंकों, पैदल सेना और अन्य उपकरणों को वापसी के बाद रक्षा मंत्री की पूर्वी लद्दाख की यह पहली यात्रा है।