ताजा आंकड़ों के मुताबिक मौत के 5 में से केवल एक मामले ही चिकित्सकीय रूप से सर्टिफाइड ( Medically certified ) होते हैं। यानि 4 मौत के मामलों में भले ही रजिस्टर्ड होते हैं लेकिन मौत की वजह की जानकारी दर्ज नहीं होती हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी डेथ रिपोर्ट-2018 के मुताबिक भारत में अनुमानित 80 लाख मौतों में से लगभग 69 लाख मौत के मामले पंजीकृत हुए। इनमें से सिर्फ 5 में से 1 की मौत के मामले मेडिकली सर्टिफाइड हैं। चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मौतों में मृत्यु का प्रमुख कारण भी दर्ज करना जरूरी होता है।
Coronavirus Vaccine : सबसे पहले किसे मिले कोविद-19 के टीके, दुनियाभर में बहस जारी 2010 के बाद से लगातार आठवें वर्ष मौतों की पंजीकरण दर ( Registration Rate ) 86% तक पहुंच गई जबकि मौतों का मेडिकल प्रमाणन 2010 की तरह अभी तक 20% के आसपास हैं। यानि मेडिकल सर्टिफिकेशन के मामले में भारत आठ साल पहले वाली स्थिति में है।
स्टेटवाइज रिपोर्ट के मुताबिक मौतों का पंजीककरण और मेडिकल प्रमाणन के स्तर पर संख्या बहुत अलग—अलग है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 37 Inpatient संस्थान हैं, जिनमें से सभी ने MCCD डेटा की सूचना दी। दूसरी ओर बिहार में एमसीसीडी के अंतर्गत आने वाले सिर्फ 5 और संस्थान थे जो कि 683 इनपैशेंट संस्थानों में से एक थे जो अपने आप में कमतर होने की संभावना है। तेलंगाना जिसमें 7,827 में से 7,144 असंगत संस्थान MCCD के अंतर्गत आते हैं, केवल 284 संस्थानों के आंकड़ों की जानकारी मिले।
Delhi Riots : एलजी ने केजरीवाल कैबिनेट का फैसला बदला, राष्ट्रपति कोविंद के पास भेजा वकीलों का मुद्दा असम और महाराष्ट्र में आई गिरावट रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन राज्यों में सभी असंगठित संस्थान पंजीकृत थे वे भी जरूरी सूचना नहीं देते। जैसे असम ( Assam ) और महाराष्ट्र ( Maharashtra ) मौतों के आंकड़ों का नियमित रूप से रिपोर्टिंग नहीं करते हैं। इन दोनों राज्यों में चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मौतों की हिस्सेदारी 2017 और 2018 के बीच कम हो गई। असम में यह 31.2% से घटकर 12% हो गया जबकि महाराष्ट्र में यह 2017.9 के 38.9% से लगभग चार प्रतिशत कम हो गया।
हृदय रोग से मौत का प्रमुख कारण गृह मंत्रालय ( Home Ministry ) की ओर से जारी डेटा के मुताबिक हृदय से संबंधित मौत के प्रमुख कारणों उभरकर सामने आए हैं। हृदय रोग ( heart disease ) से मौत 32.9%, श्वसन प्रणाली के रोगों से मौत 9.4%, परजीवी रोग 9.4% पाए गए हैं। संक्रामक और परजीवी रोग 1 से चार 4 वर्ष के बच्चों में 21%, 5-14 वर्ष के बच्चों में 22.3% और 15-24 वर्ष 17.5% लोग मौत के शिकार होते हैं। हृदय रोग सभी वर्ग के लोगों में मृत्यु का प्रमुख कारण बनकर सामने आए हैं।