फिलहाल, पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक डॉ. जगतराम ( PGI Chandigarh Director Dr Jagatram ) ने बताया कि ट्रायल पूरा होने में 3 से 6 महीने का समय लगता है। पहले चरण यानि सुरक्षा ट्रायल ( Safety Trial ) में जिन मरीजों पर वैक्सीन के प्रभाव का परीक्षण हुआ है वो सभी सुरक्षित हैं। इसलिए ट्रायल को आगे जारी रखते हुए अब इसे 40 मरीजों पर शुरू करने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने बताया कि आगमी परीक्षण में जिन 40 मरीजों को शामिल किया जाएगा, वो अगर उससे पहले ठीक हो गए तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। लेकिन उनका लगातार फॉलोअप जारी रहेगा। ताकि वैक्सीन के सही व गलत दुष्प्रभाव का पता चल सके।
पीजीआई के डॉ. जगतराम ने बताया कि एमडब्लू वैक्सीन का प्रयोग पूर्व में फेफड़े से जुड़ी गंभीर बीमारी के मरीजों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है। इसके परिणाम भी संतोषजनक आए हैं। यही वजह है कि कोरोना के इलाज में इस वैक्सीन के कारगर साबित होने की संभावना ज्यादा है।
डॉ. जगतराम ने कहा कि एमडब्ल्यू वैक्सीन ( MW Vaccine ) को कोरोना के इलाज के लिए ट्रायल के रूप में प्रयोग किए जाने में सीएसआइआर ( CSIR ) की भूमिका अहम है। सरकार की तरफ से इस वैक्सीन के ट्रायल के लिए संबंधित कंपनी और चुने गए चिकित्सा संस्थानों के बीच सीएसआइआर महत्वपूर्ण कड़ी है। सीएसआइआर की पहल पर ही यह ट्रायल संभव हो सका है।