हर दिन काम कर परिवार चलाते हैं ये मजदूर
यह हालत पटना शहर के व्यस्तम इलाके आयकर गोलंबर के कुछ ही दूर पर मंदिरी इलाके में नाले के किनारे अपने घर बनाकर रह रहे केवल कलावती की नहीं है, बल्कि यहां कई ऐसे गरीब और मजदूर लोगों का आवास है, जो प्रतिदिन कमाई कर अपना परिवार चलाते हैं।
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कलावती सिर्फ एक उदाहरण है। पटना में ऐसे कई गरीब हैं, जिनके पेट के लिए कोरोना की बीमारी आफत बनकर टूटी है। पटना के बांकीपुर क्लब के पास रहने वाले रमेश कुमार रिक्शा चलाते हैं। आज घर के बाहर बच्चों को उछलते-कूदते देखकर समय काट रहे हैं। वे कहते हैं कि नालंदा के गांव से पटना रिक्शा चलाने यह सोचकर आए थे कि यहां ज्यादा कमा लेंगे, तो जीवन गुजर जाएगा, लेकिन लोग कहते हैं कि अप्रैल महीने तक यही स्थिति रहेगी।
राशनकार्ड धारकों को 1 हजार रुपए मिलेगे
इस बीच, हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस लॉकडाउन की स्थिति में गरीबों के राहत के लिए सहायता देने की घोषणा करते हुए राशन कार्ड वाले परिवारों को एक महीने तक मुफ्त राशन देने तथा जिन इलाकों में लॉकडाउन है, वहां राशन कार्डधारक परिवारों को 1,000 रुपये की सहायता देने का एलान किया है।
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इसके अलावा सभी प्रकार के पेंशन जैसे वृद्घा, दिव्यांग, विधवा पेंशन पाने वालों को अगले 3 महीने की पेंशन 31 मार्च से पहले दी जाएगी, जो उनके बैंक खाते में सीधे भेजे जाने की भी घोषणा है। लेकिन, बिहार में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पास राशन कॉर्ड नहीं है और ना ही पेंशन उनके परिजन को मिलता है।
राजद ने बिहार सरकार पर लगाया आरोप
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा नाकाफी है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पास राशन कॉर्ड नहीं है और ना ही पेंशन उनके परिजन को मिलता है। लॉकडाउन के कारण ऐसे कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को असंगठित मजदूरों पर भी ध्यान देना चाहिए।