Coronavirus: एम्स निदेशक ने बताया तेजी से बढ़ते मामले रोकने का तरीका
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दी कोरोना के ग्राफ के विषय में जानकारी।
बताए तरीके जिनसे ग्राफ को बेहद तेजी से बढ़ने से रुक सकेगा।
जून-जुलाई में कोरोना के चरम पर पहुंचने का बयान बना ट्रेंडिंग।
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( AIIMS ) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने गुरुवार को कहा है कि अगर COVID-19 हॉटस्पॉट का सही ढंग से प्रबंधन किया जाता है, तो भारत में इसके मामलों के बढ़ते ग्राफ का चरम सपाट बन सकता है। इसका मतलब है कि जिस तरह पश्चिम देशों में देखा गया है, हमारे देश में यह ग्राफ का चरम बहुत तेजी से नुकीला बढ़ता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगले कुछ हफ्तों के दौरान कम होते मामलों के साथ ग्राफ का चरम अधिक सपाट हो सकता है।
देश में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस केसों के बीच इन राज्यों से आई शानदार खबर #Lockdown उन्होंने बताया कि अमरीका और ब्रिटेन में जहां नए COVID-19 मामले घट रहे हैं, वहां पूर्व में रोजाना 10,000 से अधिक नए मामलों सामने आते हुए ग्राफ में तेज वृद्धि देखी गई है। हालांकि भारत ने अब तक एक ही दिन में अधिकतम 3,600 नए मामले ही देखे हैं। एम्स निदेशक ने कहा कि हॉटस्पॉट और सामुदायिक भागीदारी से तेज कार्रवाई करके केवल 3,000 से 4,000 तक मामलों में ही इस वृद्धि को सीमित करने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने कहा, “गणितीय मॉडलिंग के आधार पर कई संभावनाएं जताई गई हैं। इनमें से कुछ के मुताबिक अप्रैल-अंत तक ग्राफ चरम पर पहुंच सकता है। हालांकि वे संभावनाएं गलत साबित हुईं। कुछ अध्ययनों में कहा गया कि मई में कोरोना केस का ग्राफ चरम पर पहुंच जाएगा, लेकिन इसकी बहुत कम संभावना है। इसी तरह, कुछ अध्ययनों के मुताबिक यह चरम जून-जुलाई में हो सकता है। मुझे नहीं पता कि क्या यह सच साबित होगा या नहीं।”
डॉ. गुलेरिया के मुताबिक COVID-19 के चरम की भविष्यवाणी करने के लिए मॉडलिंग डाटा अक्सर बदलाव को पर ध्यान नहीं देता है। उन्होंने आगे कहा, “लॉकडाउन के कारण COVID-19 मामलों की संख्या में वृद्धि धीमी रही है। साथ ही, हॉटस्पॉट से ही ज्यादातर नए मामले सामने आ रहे हैं। अगर उनका प्रबंधन ठीक से किया जाता है, तो हमें कोरोना मामलों के ग्राफ का चरम सपाट दिखाई दे सकता है।”
कोरोना से जंग: मई होगा महत्वपूर्ण, करो या मरो के हालात और जरा सी चूक खतरनाक दरअसल उन्होंने मीडिया से चर्चा में ऐसा बयान दे दिया था जिससे लगता था कि भारत में चरम जून और जुलाई में आ सकता है। इससे जनता के बीच चिंता पैदा हो गई थी। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर भी सबसे अधिक ट्रेंडिंग टॉपिक्स में शामिल हो गया था।
गौरतलब है कि गुलेरिया ने कहा था, “भारत में COVID-19 के मामले चरम पर कब होंगे, इसका जवाब मॉडलिंग डाटा पर निर्भर करेगा। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों विशेषज्ञ डाटा का विश्लेषण कर रहे हैं। उनमें से अधिकांश ने अनुमान लगाया है कि भारत में जून या जुलाई में मामलों की संख्या अपने चरम पर पहुंच सकती है।”
400 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके मशहूर फिल्म अभिनेता लॉकडाउन के बीच अस्पताल में भर्ती डॉ. गुलेरिया ने कहा, “पहले यह विश्लेषण किया गया था कि मामलों की संख्या मई में अपने चरम पर होगी, लेकिन लॉकडाउन बढ़ाए जाने के कारण पीक अवधि भी आगे बढ़ गई। यह एक डायनॉमिक प्रक्रिया है, जो विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। यह एक लंबी लड़ाई है। पीक अवधि गुजर जाने के बाद भी मामले आएंगे। यात्रा और सामाजिकता के संदर्भ में लोगों की जीवनशैली बदल जाएगी।”