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लॉकडाउन बढ़ा तो बढ़ेगी लोगों की आर्थिक तंगी, जरूरी सामान खरीदना भी बनेगा चुनौती

भारत में लगातार फैलता जा रहा कोरोना वायरस ( Coronavirus in India ) का संक्रमण
इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार ने लॉकडाउन से लेकर कर्फ्यू तक बढ़ कदम उठाए हैं
लॉकडाउन की वजह से बंद हो गई देश की आर्थिक गतिविधियां ( Economic activities )

Apr 12, 2020 / 04:49 pm

Mohit sharma

लॉकडाउन बढ़ा तो बढ़ेगी लोगों की आर्थिक तंगी, जरूरी सामान खरीदना भी बनेगा चुनौती

लॉकडाउन बढ़ा तो बढ़ेगी लोगों की आर्थिक तंगी, जरूरी सामान खरीदना भी बनेगा चुनौती

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) का संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है। यही वजह है कि इस जानलेवा बीमारी से निपटने के लिए सरकार ने लॉकडाउन ( Lockdown in India ) से लेकर कर्फ्यू तक बढ़ कदम उठाए हैं।

वहीं, लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक गतिविधियां ( Economic activities ) बिल्कुल बंद हो गई हैं, जिसका असर लोगों के रोजमर्रा के जीवन पर पड़ता दिखाई दे रहा है।

इस संबंध में किए गए सर्वे और विशेषज्ञों की मानें तो 21 दिन के इस लॉकडाउन का प्रभाव लोगों की जेबों पर पड़ा है।

आलम यह है कि 62.5 प्रतिशत लोग आर्थिक तंगी ( Economic Crisis ) का शिकार हो गए हैं और उनके पास आवश्यक सामान खरीदने तक के लिए भी पैसे नहीं हैं।

ऐसे में अगर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई गई तो लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है।

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विभिन्न समूहों-सामाजिक, आय, आयु, शिक्षा, धर्म और जेंडर के 62.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके पास राशन/दवा आदि या इन जरूरी चीजों के लिए धन तीन सप्ताह से कम समय के लिए ही है।

कुल 37.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे तीन सप्ताह से अधिक समय के लिए इन आवश्यक चीजों के लिए तैयार हैं।

यह आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए लगे 21 दिवसीय लॉकडाउन के अंत के करीब जा रहा है, और राज्य सरकारों के बीच दो और हफ्तों के लिए लॉकडाउन का विस्तार करने के लिए एक आम सहमति बन रही है।

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सर्वे के अनुसार, कम आय और शिक्षा समूहों वाले लोगों की स्थिति सबसे कमजोर है, जहां 70:30 के हिस्से में अधिकांश लोगों के पास तीन सप्ताह से अधिक समय तक चलने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

सर्वे के रुझान से संकेत मिलता है कि कम आय वर्ग और समाज के निचले तबके से जुड़े लोगों के पास अपने परिवारों की देखभाल करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है, जबकि मध्यम आय वाले तबके के पास तीन सप्ताह की अवधि के लिए संसाधन हैं।

सिर्फ ज्यादा आय वर्ग वाले लोगों के पास तीन सप्ताह से अधिक समय तक के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।

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शहरी भारत में 55 प्रतिशत लोगों के पास पर्याप्त रूप से आवश्यक वस्तुएं हैं और उनके पास जरूरी चीजों के लिए तीन सप्ताह से कम समय तक के लिए पैसे हैं।

ग्रामीण और अर्ध-नगरीय लोग (65 प्रतिशत से अधिक) का कहना है कि उनके पास तीन सप्ताह तक गुजर-बसर करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।

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