राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों के एक पत्र के सार्वजनिक होने के बाद विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें डॉक्टरों द्वारा सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशिल्ड के बजाय भारत बायोटेक के कोवाक्सिन वैक्सीन लेने की आशंका का हवाला दिया गया था, जिसे दिल्ली के राजकीय अस्पतालों में प्रशासित किया जा रहा था।
ऐसे में कई स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने वैक्सीन नहीं लगवाई।
तमिलनाडु ने रविवार को लगभग 15,000 की क्षमता के के बीच सिर्फ 3,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को टीका लगाया। ये आंकड़ा तय उम्मीद से पांच गुना कम रहा।
बालाजी के मुताबिक कई स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है जब तक डॉक्टर नहीं लगवाते हम डोज नहीं लेंगे। वहीं कई स्वास्थ्यकर्मियों के घर से टीका न लगवाने का दबाव भी बनाया जा रहा है।
हालांकि राज्य के स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन सहित शीर्ष डॉक्टरों को रविवार को विश्वास दिलाने के लिए टीका लगाया गया। उन्होंने कहा कि ड्राइव धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ेगी। देश में कोरोना का टीका लगाने के लिए वॉर्ड बॉय की मौत! परिवार ने कहा वैक्सीन लगाने के बाद सामने आए ये साइड इफेक्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय को कोविन ऐप ( Cowin ) के बारे में राज्यों से कई शिकायतें मिली हैं, जो पूरे टीकाकरण अभियान की रीढ़ है। दरअसर राज्य टीकाकरण के सत्र को वेबसाइट पर अपलोड करने में असमर्थ थे, ऐसे में लाभार्थियों को इसका विवरण राज्य सत्र अपलोड करने में असमर्थ थे और ऑनलाइन लाभार्थी विवरण तक नहीं पहुंच सके। इस वजह से भी कई लोगों ने टीका नहीं लगवाया।
महाराष्ट्र में स्वास्थ्य विभाग और बीएमसी के बीच तालमेल की कमी ने भी टीकाकरण अभियान पर असर डाला। बीएमसी ने जहां कोविन ऐप के अनसुलझे विवादों के चलते टीकाकरण को सोमवार तक टालने की निर्देश जारी किया वहीं स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे किसी निर्देश से इनकार किया।
दूसरे दिन रविवार को आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मणिपुर और तमिलनाडु में ही कोरोना वैक्सीनेशन किया गया।