scriptकभी ‘बाहर फिंकवाना’, कभी ‘ऊंगली करना’ तो कभी ‘आग से खेलना’, जब न्याय के मंदिर में जजों ने की ऐसी-ऐसी टिप्पणियां | Controversial and remarkable statements made by judges in courtroom | Patrika News
विविध भारत

कभी ‘बाहर फिंकवाना’, कभी ‘ऊंगली करना’ तो कभी ‘आग से खेलना’, जब न्याय के मंदिर में जजों ने की ऐसी-ऐसी टिप्पणियां

CJI पर यौन शोषण मामले में जस्टिस आरएफ नरीमन वकील पर भड़क गए
जस्टिस नरीमन ने वकील उत्सव बैंस को कोर्ट रूम से ‘बाहर फिंकवा’ देने की चेतावनी दे डाली थी
पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब जजों ने इस तरह की टिप्पणी की है

Apr 26, 2019 / 11:52 am

Shweta Singh

Judges statements

कभी ‘बाहर फिंकवाना’, कभी ‘ऊंगली करना’ तो कभी ‘आग से खेलना’, जब न्याय के मंदिर में जजों ने की ऐसी-ऐसी टिप्पणियां

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में CJI रंजन गोगोई ( Ranjan Gogoi ) पर लगाए कथित यौन उत्पीड़न मामले की दो दिन सुनवाई चली। कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक को जांच की कमान सौंपी। अब जस्टिस CBI, IB और दिल्ली पुलिस की मदद से इस मामले की साजिश के बारे में जांच करेंगे। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट का माहौल गहमागहमी भरा था। सुनवाई के दौरान ऐसे कई मौके आए जब बेंच के तीनों जजों को गुस्सा आया। एक बार तो बात यहां तक पहुंच गई कि जस्टिस आरएफ नरीमन ने वकील उत्सव बैंस को कोर्ट रूम से ‘बाहर फिंकवा’ देने की तक की चेतावनी दे डाली। जस्टिस नरीमन के इस बयान ने जमकर सुर्खियां बंटोरी। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब कोर्टरूम जज की ओर से इस तरह की टिप्पणी की गई हो। इससे पहले भी ऐसे कई वाकये सामने आए, जब कभी कोर्ट रूम ठहाकों से गूंज पड़ा तो कभी माहौल तनावपूर्ण हो गया। इस रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ किस्सों के बारे में बताने जा रहे हैं।

 

कोर्ट का नामजज का नामकेससाल
सुप्रीम कोर्टचीफ जस्टिस रंजन गोगोईराहुल गांधी ‘चौकीदार चोर है’ मामले पर मीनाक्षी लेखी की अवमानना केस2019
सुप्रीम कोर्टचीफ जस्टिस रंजन गोगोईराम मंदिर में गैरविवादित भूमि पर पूजा करने की मांग वाली याचिका केस2019
सुप्रीम कोर्टचीफ जस्टिस रंजन गोगोईसीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार मामला2018
राजस्थान हाई कोर्टजस्टिस महेश चंद्र शर्माजनहित याचिका पर सुनवाई2017
दिल्ली हाई कोर्टजज प्रतिभा रानी JNU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत मामला2017
सुप्रीम कोर्टजस्टिस एके सीकरीकेजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने का मामला2018

ये चौकीदार कौन है?

सबसे पहला मामला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) के ‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान पर जारी सुनवाई का है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने इसपर सुनवाई की थी। इस दौरान जस्टिस गोगोई ने एक ऐसी बात पूछ ली कि हर कोई इसपर चर्चा करने लगा। दरअसल, CJI ने कहा कि उन्होंने अबतक राहुल गांधी की ओर से दाखिल जवाब देखा नहीं है। इसपर बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल का पूरा जवाब पढ़कर सुनाया। तभी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुकुल रोहतगी से पूछा कि ये चौकीदार कौन है? जस्टिस का यह पूछना की यह चौकीदार है कौन जिसपर चर्चा चल रही है।

यह भी पढ़ें

CJI पर यौन उत्पीड़न केस: जस्टिस रमन्ना ने जांच समिति से किया खुद को अलग, अब जज इंदु मल्होत्रा शामिल

‘..किसी न किसी को हमेशा अपनी नाक घुसेड़नी ही है’

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम मंदिर मामले में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा, ‘आप इस देश को शांति से नहीं रहने देंगे…किसी न किसी को हमेशा अपनी नाक घुसेड़नी ही है।’ दरअसल याचिकाकर्ता ने वहां के गैर-विवादित भूमि पर पूजा करने की अनुमति की मांग संबंधी याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इसपर सुनवाई करते हुए यहा टिप्पणी की थी।

Chief justice Ranjan Gogoi

‘अंडमान-निकोबार तो अच्छी जगह है’

बीते साल नवंबर में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान भी ऐसा ही मजाकिया बयान सामने आया था। इस दौरान सीबीआई अधिकारी एके बस्सी की तरफ से पैरवी कर रहे वकील राजीव धवन ने कोर्ट बताया कि उनके मुवक्किल का तबादला अंडमान-निकोबार में कर दिया गया है। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘वह तो अच्छी जगह है घूमने के लिए। अभी कुछ दिन वहां रहिए।’

ब्रह्मचारी है मोर

कुछ समय पहले राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने भी गाय को ‘राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने की सिफारिश की थी। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उन्होंने राज्य सरकार से इसके संबंधित कदम उठाने के लिए कहा था। यहीं नहीं जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने ‘गोहत्या के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान’ तय किए जाने की भी सिफारिश की थी। इसके अलावा उन्होंने मोर के ‘ब्रह्मचारी’ होने जैसा विवादित बयान भी दिया है।

Mahesh Chandra Sharma

जज प्रतिभा रानी की डॉक्टरी क्लास

JNU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के जमानत मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की जज प्रतिभा रानी ने भी ऐसी टिप्पणी की जिसपर काफी चर्चा हुई। जस्टिस प्रतिभा रानी ने कहा था- ‘मुझे लगता है कि यह एक तरह का संक्रमण है जिससे ये छात्र संक्रमित हो गए हैं। इससे पहले कि यह संक्रमण महामारी का रूप ले, इसपर काबू पाने या इसे ठीक करने की जरूरत है।’ कन्हैया को जमानत देने का फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा था कि जब भी किसी तरह का संक्रमण अंग में फैलता है, उसे ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दिए जाते हैं। पर जब यह काम नहीं करता तो दूसरे चरण का इलाज किया जाता है। उन्होंने आगे यह भी कहा था कि कभी-कभी सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है और कभी तो अंग को काटकर अलग कर देना ही इलाज होता है।

यह भी पढ़ें

पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करने वाले IASअधिकारी के निलंबन पर रोक, EC ने की अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश

छुट्टियों का आनंद लेने दें

केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने ने कांग्रेस ने कोर्ट का रूख किया था। इस मामले में फैसला सुनाते हुए तीन जजों की एक पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि अब, हमें अपनी छुट्टियों का आनंद उठाने दीजिए।’ जस्टिस एके सीकरी की मजाकिया टिप्पणी पर पूरा कोर्ट रूम ठहाकों से गूंज उठा।

90 प्रतिशत भारतीय ‘बेवकूफ’

ये बयान तो कोर्टरूम के अंदर दिए गए, वहीं कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जब जजों ने कोर्टरूम के बाहर अपनी अतरंगी राय रखी। ऐसा ही एक बयान है सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मार्कंडेय काट्जू। उन्होंने एक बार कहा था कि 90 फीसदी भारतीय मूर्ख हैं। उन्होंने कहा था, ‘मैं कहता हूं कि 90 प्रतिशत भारतीय ‘बेवकूफ’ हैं। उनके पास दिमाग नहीं होता। उन्हें आसानी से ‘बेवकूफ’ बनाया जा सकता है। मात्र दो हजार रुपए देकर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़काए जा सकते हैं।’

Markandey Katju

Hindi News / Miscellenous India / कभी ‘बाहर फिंकवाना’, कभी ‘ऊंगली करना’ तो कभी ‘आग से खेलना’, जब न्याय के मंदिर में जजों ने की ऐसी-ऐसी टिप्पणियां

ट्रेंडिंग वीडियो