सूत्रों के अनुसार, अगर चीन ये सैन्य शिविर बनाने में सफल हो जाता है तो भारत में घुसपैठ करना आसान होगा और घुसपैठ की घटनाओं के बढ़ने की संभावना है। लद्दाख में जहां चीनी सेना शिविरों का निर्माण कर रही है, उसी क्षेत्र से कुछ मिनटों की दूरी पर पिछले साल भारत और चीनी सैनिकों के बीच टकराव देखने को मिला था। इसमें भारत के 1 कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए थे। भारत ने भी चीनी सैनिकों के मरने की बात कही थी हालांकि चीन ने इससे साफ मना करते हुए कहा था कि उनका किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ।
खबरों के अनुसार चीनी सेना अपने स्थायी कंक्रीट के सैन्य शिविरों में जल्द ही सैनिकों को तैनात करेगी। चीन की सीमा में पड़ने वाली सड़क की स्थिति भी काफी बेहतर बताई जा रही है, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि सीमा से सटे क्षेत्रों में पहले के मुकाबले और जल्दी पहुंचा जा सकता है। इस मामले में भारत की सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।
जरूर पढ़ें: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष से की मुलाकात, कहा- LAC विवाद बढ़ने से रिश्ते प्रभावित पूर्वी लद्दाख के साथ साथ अरुणाचल के कुछ इलाकों में भी आधुनिक इमारतों को निर्माण किया गया है, ये इमारतें सर्दी के मौसम में चीनी सैनिकों को ठंड से बचाने के काम आएंगी। बता दें कि सर्दी के मौसम में यहां के सैनिकों की बदली होती है और उनकी जगह दूसरे सैनिक मोर्चा संभालने आते हैं।
गौरतलब है कि 6 जुलाई को भारत में जब दलाई लामा का जन्मदिन मनाया जा रहा था, तब भी चीनी सैनिक भारत की सीमा में घुस आए थे। डेमचोक स्थित कुछ स्थानीय लोग तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे थे, वहां से करीब 200 किलोमीटर दूर से चीनी सैनिकों ने दलाई लामा का विरोध करते हुए बैनर व झंडे लहराए थे।
हालांकि भारत और चीन के बीच सैन्य व राजनीतिक स्तर पर सीमा विवाद को लेकर बातचीत चल रही है लेकिन अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।