scriptचंद्रयान-2: नहीं टूटी है उम्मीद की डोर, लैंडर विक्रम को ढूंढने के लिए ISRO का प्लान ‘बी’ शुरू | Chandrayaan-2 Healthy and safe in lunar orbit isro find lander vikram | Patrika News
विविध भारत

चंद्रयान-2: नहीं टूटी है उम्मीद की डोर, लैंडर विक्रम को ढूंढने के लिए ISRO का प्लान ‘बी’ शुरू

Chandrayaan-2 को लेकर आई सबसे बड़ी खबर
ISRO ने कहा नहीं टूटी है उम्मीद, इस तकनीक से ढूंढ रहे लैंडर विक्रम
चांद की सतह पर कदम रखने के 2.1 किमी पहले टूटा था संपर्क

Sep 07, 2019 / 05:56 pm

धीरज शर्मा

6677.jpg
नई दिल्ली। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चांद की सतह पर उतरने से ठीक पहले संपर्क टूट गया। इसके साथ ही चंद्रयान-2 को लेकर पूरे देश की उम्मीदों पर एक झटका लगा। ISRO के वैज्ञानिक भी खासे आहत हुए, लेकिन इन सबके बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है।
जी हां ISRO लैंडर विक्रम को खोजने में जुट गई है। एक खास तकनीतक के जरिये ISRO पता लगा रहा है कि आखिर लैंडर विक्रम गया कहां। इसरो के वैज्ञानिक ने कहा है कि लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीदें अभी कायम हैं।
इसरो के एक अधिकारी ने बताया है कि विक्रम से संपर्क टूटा है लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है और चक्कर लगा रहा है। इसरों ने प्लान बी पर काम करना शुरू कर दिया है जिसके जरिये विक्रम लैंडर को ढूंढने की कोशिश की जा रही है।
Video: होते रहे धमाके, जलती रही पटाखों से भरी दुकान, इतना बारुद बीच बाजार रखने की इजाजत किसने दी?
इसरो अधिकारी ने बताया कि विक्रम के क्रैश होने की कोई खबर अभी सामने नहीं आई। इसका मतलब है कि विक्रम अब तक सलामत है। यही वज है कि इसरो इसे खोजने में जुट गया है।
इस वजह से टूटा संपर्क

वैज्ञानिकों के मुताबिक लैंडर विक्रम के संपर्क से टूटने की सबसे बड़ी वजह पावर सप्लाई के ठप होने की हो सकती है।

इसके अलावा चांद की सतह पर बहुत बड़े गड्ढे होते हैं जब लैंडर विक्रम उतर रहा होगा तो उसमें से तेज हवा के कारण चांद पर धूल का गुबार उठा होगा। ऐसे में भी संपर्क टूटने की संभावना रहती है।
ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में पूरी तरह ठीक एवं सुरक्षित है और सामान्य तरीके से काम कर रहा है। लैंडर-रोवर को दो सितंबर को ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग किया गया था।

chandrayaan.png
ऑर्बिटर अब भी चांद से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर कक्षा में सफलतापूर्वक चक्कर लगा रहा है। 2397 किलोग्राम ऑर्बिटर के मिशन का जीवन काल एक साल है।
आपको बता दें कि 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था अंतरिक्ष यान 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था। इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग करने में सफलता पाई थी, लेकिन शनिवार तड़के विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था।
‘विक्रम’ ने ‘रफ ब्रेकिंग’ और ‘फाइन ब्रेकिंग’ चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया।

Hindi News / Miscellenous India / चंद्रयान-2: नहीं टूटी है उम्मीद की डोर, लैंडर विक्रम को ढूंढने के लिए ISRO का प्लान ‘बी’ शुरू

ट्रेंडिंग वीडियो