केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन आरोपों और धमकियों का हवाला देते हुए अमरिंदर सरकार को संघ प्रमुख की सुरक्षा की समीक्षा करने को लेकर निर्देश जारी किए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि सिंघु बॉर्डर पर 28 व 29 जनवरी की रात निहंगों ने एक भडक़ाऊ भाषण दिया। इसमें संघ प्रमुख को सीधे तौर पर धमकियां दी गईं। उन्होंने आरोप लगाया था कि 28 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरना स्थल पर संघ ने अपने कार्यकर्ता भेजे थे। दावा किया जा रहा है कि संघ कार्यकर्ताओं को यहां भेजने का उद्देश्य करीब तीन महीने से जारी किसान आंदोलन को समाप्त कराना था।
हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों ने सिर्फ पंजाब सरकार को ही नहीं बल्कि, हरियाणा की खट्टर सरकार तथा महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को भी इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। सूत्रों के अनुसार, निहंगों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को चेतावनी दी थी कि किसानों के प्रदर्शन स्थल पर आरएसएस के कार्यकर्ता भेजने की कोई भी कोशिश हिंसा को बढ़ावा दे सकती है। सुरक्षा एजेंसियों की ओर से भेजे गए पत्र के मुताबिक, इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए मोहन भागवत की सुरक्षा की समीक्षा करें और इसके लिए जरूरी कदम उठाएं।
बता दें कि पंजाब में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं पर पहले भी हमले होते रहे हैं। आतंकवाद के दौर से ही हिंदू संगठनों और संघ के नेता चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं। दावा किया जाता है कि पंजाब में मौजूदा वक्त में करीब 900 शाखाएं चल रही हैं।