बैठक में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 83 हल्के लड़ाकू विमान तेजस की खरीद को मंजूरी दी। इसमें भारतीय वायुसेना के लिए 73 हल्के लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A और 10 तेजस Mk-1 विमानों की खरीद को मंजूरी दी गई है। इसके लिए सरकार को करीब 48 हजार करोड़ रुपये खर्च करना पड़ेगा। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के डिजाइन और विकास में होने वाला 1202 करोड़ रुपये का खर्च भी शामिल है।
लड़ाकू विमान तेजस ने दिखाई अपनी ताकत, बीवीआर डर्बी मिसाइल का हुआ सफल परीक्षण
आपको बता दें कि लाइट कॉम्बेट Mk-1A वेरिएंट स्वदेश में डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया आधुनिक पीढ़ी का फाइटर प्लेन है, जिसे बेंगलुरु के हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है।
क्या है तेजस की खासियत
मालूम हो कि तेजस चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के समूह में सबसे हल्का और छोटा फाइटर जेट है। यह दुश्मनों को बहुत ही आसानी और तेजी से छकाने में सक्षम है। तेजस को क्रिटिकल ऑपरेशन क्षमता के लिए इलेक्ट्रानिक रूप से स्कैन रडार, बियोंड विजुल रेंज (BVR) मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुइट और एयर टू एयर रिफ्यूलिंग जैसी सुविधाओं से लैस किया गया है। यह विमान फिलहाल यह 50 फीसदी स्वदेशी है जिसे बाद में बढ़ाकर 60 फीसदी किया जाएगा।
मोदी सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत लगातार रक्षा क्षेत्र में उन्नत, अत्याधुनिक तकनीकों और प्रणालियों का स्वदेशीकरण करने पर जोर देते हुए आगे बढ़ रही है। इस करार से ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बहुत बड़ी ताकत मिलेगी। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान की प्रशंसा की थी।
मिराज ही नहीं ये हैं दुनिया के सबसे महंगे फाइटर जेट, कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान
आपको बता दें कि चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद को लेकर लगातार तनाव बरकार है। ऐसे में भारतीय वायु सेना ने किसी भी नापाक हरकत से निपटने के लिए तेजस को पश्चिम में पाकिस्तान सीमा के करीब तैनात किया है। ज्ञात हो कि तेजस का पहला स्क्वाड्रन इनिशियल ऑपरेशनल क्लीयरेंस वर्जन का है, जबकि दूसरा 18 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ अंतिम ऑपरेशनल क्लीयरेंस वर्जन का है।